UP Election 2022: अब सिर्फ बीजेपी का पोस्टमार्टम बचा है... बदल गया यूपी चुनाव का नैरेटिव
हफ्ते भर पहले किसी को अंदाजा नहीं था कि जिन पिछड़ों और अति पिछड़ों ने 2017 के यूपी चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत में अहम भूमिका निभाई थी और मोदी की छाती चौड़ी की थी, उनके अंदर इतनी नाराजगी है. तमाम विश्लेषक और सामाजिक चिंतक लगातार इस बात को दोहरा रहे थे कि यूपी में अति पिछड़े इस बार जीत और हार तय करेंगे, लेकिन उन्हें भी नहीं पता था कि ओबीसी का रुख क्या है? अभी उनके मन में क्या चल रहा है, क्योंकि इन्हीं नेताओं ने 2017 में बीजेपी को जीत दिलाई थी और हफ्ते भर पहले ये बीजेपी के साथ थे. ओबीसी के ही सपोर्ट से भगवा पार्टी अपने दम पर 300 का आंकड़ा पार कर गई थी. याद करिए अमेठी की वह रैली, जहां मोदी ने खुद को पिछड़ा बताया था. क्योंकि उन्हें पता था कि बीजेपी की जीत के लिए पिछड़ों को अपने साथ लाना पड़ेगा. बहरहाल, हफ्ते भर में यूपी में बीजेपी की हार पर तर्क गिनाने में लोग हिचकिचाते थे, लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद लगी इस्तीफों की झड़ी ने साफ कर दिया है कि ओबीसी नेताओं में बीजेपी के प्रति कितना आक्रोश और नाराजगी है. यूं कहे कि बीजेपी के 'सबका साथ, सबका विकास' एजेंडे में ओबीसी नेता फिट न