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क्रिकेट की आत्मा बचाने और बेचने का ‘टेस्ट’

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courtesy_google पटौदी मेमोरियल लेक्चर के दौरान बोलते हुए सुनील गावस्कर ने कहा, ‘ ग्लोबल स्तर पर क्रिकेट के प्रसार के लिए टी-20 और वनडे उचित फॉर्मेट है। लेकिन हमें क्रिकेट की आत्मा टेस्ट को बचाना होगा। ‘ गावस्कर ने टेस्ट क्रिकेट को बचाने के लिए जो समाधान बताए उनमें सबसे प्रमुख था स्पोर्टिंग विकेट तैयार करना। लेकिन क्या स्पोर्टिंग विकेट तैयार करने से ही टेस्ट क्रिकेट की चुनौतियों का हल मिल जाएगा। लिटिल मास्टर के इस बयान को गहराई से समझा जाए तो टेस्ट क्रिकेट के सामने खड़ी चुनौतियों के कई चेहरे उभर कर आते है और उनमें सबसे महत्वपूर्ण है बाजार का हाथ, किसके साथ ? कहते है, किसी भी वस्तु की कीमत मार्केट में उसकी मांग से तय होती है। ठीक यही चीज टेस्ट क्रिकेट, वनडे और टी-20 पर भी लागू होती है। वर्तमान में शायद ही कोई ऐसा देश हो जहां भारत की तरह बाजार ने क्रिकेट को मार्केटिंग, प्रमोशन और बेचने के लिए इस्तेमाल किया हो। गावस्कर अपने पूरे लेक्चर के दौरान टेस्ट, वनडे और टी-20 के इस आर्थिक पहलू पर नहीं बोलते। क्योंकि वह भी किसी ना किसी टेलीविजन चैनल के साथ जुड़ें हैं। आइए, टेस्ट, वनडे