MY EXPERIMENT WITH COVID-19: कोरोना वायरस संक्रमित होने के बाद क्या बदला?

नोट: इस पोस्ट के आधार पर कोई राय ना बनाएं. ये सिर्फ एक व्यक्ति की व्यथा हैं. किसी भी स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करें.

3 अक्टूबर 2020 को मुझे पहली बार बहुत तेज बुखार आया. हालांकि एक-दो दिन पहले से ही मुझे लग रहा था कि तबीयत नासाज है. बुखार और जुकाम के लक्षण शरीर में दिख रहे थे. नाक बंद होने लगी थी. 3 अक्टूबर को रात में बहुत तेज बुखार आया. रात में पैरासिटामॉल की टेबलेट खाकर सोई थी. लेकिन, सुबह के 4 बजे के करीब बुखार फिर चढ़ गया. चूंकि 3 अक्टूबर तक दिल्ली में ठंड का असर कम था. इसलिए शाम को हम चार दोस्तों ने एसी चलाकर ठंडी बीयर पी थी और साथ में खाना खाया था. मुझे साइनस की हल्की समस्या है. इसलिए मुझे लगा कि शायद बीयर का असर है. जिसकी वजह से मेरी नाक बंद हुई और फिर ठंडी बीयर ने बुखार को मौका दे दिया. दिल्ली में कोरोना वायरस अपने चरम पर था, लेकिन दूसरी लहर का हल्ला नहीं हुआ था. लग रहा था जैसे कोविड की रफ्तार धीमी पड़ गई है. फिर भी 3 अक्टूबर की रात आए बुखार ने हल्का डर जगा दिया था कि कहीं कोरोना तो नहीं हो गया? फिर ये सोचते रहे कि अगर कोरोना हुआ है तो क्या हुआ? तेज बुखार ही तो है. पैरासिटामॉल खाएंगे और देखेंगे कि आगे क्या होता है. अभी खांसी शुरू नहीं हुई थी. फिर विकास भैया के बड़े भाई विवेक भैया से बात हुई और उन्होंने कहा कि संक्रमण के लक्षण तो हैं. क्या पता कोरोना ही हो. चेक करा लो. उन्होंने कुछ दवाएं बताईं. मैंने दवाएं खरीद के खाना शुरू कर दिया. दो दिन बाद मुझे खांसी शुरू हो गई. बुखार काबू में था. नाक पूरी तरह बंद हो गई थी. 

एक हफ्ते तक यही सिलसिला चलता रहा. जब लगता कि बुखार चढ़ने वाला है. मैं पैरासिटामॉल खा लेता. फिर 10 अक्टूबर की शाम को जिन चार दोस्तों ने पिछले शनिवार को एक साथ बीयर पी थी. उनमें से एक ने अपना कोविड टेस्ट किया. एक दोस्त के पास एंटीजन टेस्ट किट थी. उसके किसी करीबी ने उसे एहतियातन दी थी. आत्मनिर्भर तरीके से की गई उस जांच में हमारा दोस्त कोविड पॉजिटिव आया था. एक निगेटिव आया. फिर 10 अक्टूबर की शाम को जब मुझे उन दोनों का रिजल्ट पता चला तो मैंने खुद का टेस्ट करने का फैसला किया. बुखार को एक हफ्ते हो गए थे. शरीर कमजोर हो गया था. थकान और बदन दर्द महसूस हो रहा था. मैंने अपना एंटीजन टेस्ट किया और पाया कि मैं भी कोरोना संक्रमित हो गया हूं. फिर मेरे रूप पार्टनर ने अपना कोविड टेस्ट किया, उसका रिजल्ट भी पॉजिटिव आया. हम सब अब डर गए थे. 

अगले दिन हम लोग मयूर विहार फेज वन में शशि गॉर्डन स्थित दिल्ली सरकार की डिस्पेंसरी पहुंचे और अपनी कोरोना जांच करवाई. मैंने सिर्फ आरटी-पीसीआर करवाया, जबकि मेरे रूम पार्टनर ने रैपिड एंटीजन टेस्ट और आरटी-पीसीआर दोनों करवाया. रैपिड टेस्ट का रिजल्ट तुरंत आया और मेरे दोस्त को सरकारी रिकॉर्ड में पॉजिटिव दिखा दिया गया. मेरा रिजल्ट तुरंत पता नहीं चला. हम दोनों अपने कमरे पर आए और थोड़ी देर में दिल्ली सरकार की ओर से नियुक्त आशा वर्कर दवाएं और ऑक्सीमीटर लेकर आई. दवाओं में विटामीन सी कैप्सूल, जिंक और पैरासिटामॉल के साथ मल्टीविटामिन टेबलेट थे. हम लोगों को बुखार शुरू हुए एक हफ्ते हो गए थे. मुंह का स्वाद चला गया था. नमक और चीनी का ठेठ स्वाद भी बिल्कुल हल्का सा मालूम होता था. चुटकी भर चीनी लेकर जीभ पर रखो तो ऐसा लगता था कि हल्की मिठास है. कमरे में डिओ छिड़क दो तो महक ही नहीं आती थी. कुकर में पकती दाल की गंध पता ही चलती थी. चिकन मिट्टी जैसा स्वाद देता था. हमें मालूम चल गया था कि हमें कोरोना ने जकड़ लिया है. 

कोरोना पॉजिटिव करार दिए जाने के बाद दिल्ली सरकार की ओर से मेरे रूम पार्टनर को हर रोज फोन आते और डॉक्टर उसका हाल-चाल लेता. पूछता कि तबीयत कैसी है. कैसा महसूस हो रहा है. क्या दिक्कत है. क्या अस्पताल में भर्ती होना है. मेरा दोस्त सब ठीक बताता और अस्पताल में भर्ती होने को भी. आशा वर्कर हर सुबह उसका ऑक्सीजन लेवल मांगती, हम जांच कर व्हाट्स ऐप कर देते. 

चार दिन मैंने आशा वर्कर को फोन किया कि मेरी कोविड रिपोर्ट अभी तक नहीं आई. जब फोन किया तभी मैडम ने बताया कि मेरी रिपोर्ट भी पॉजिटिव है और वे दवाएं लेकर आ रही है. ऑक्सीमीटर मैं अपने रूम पार्टनर का ही यूज करूंगा. सरकार की ये व्यवस्था थी. मैंने कहा ठीक है. उन्होंने 15 दिन की दवाएं दी थीं. वहीं जो मैंने ऊपर बताया है. मुझे अभी तक आधिकारिक रिपोर्ट नहीं मिली थी. खांसी की समस्या के लिए आशा वर्कर ने एक लिक्विड दिया और दिन में दो-तीन बार ठंडे पानी के साथ गरारा करने को कहा. पांच दिन लगातार करने के बाद खांसी से मुझे काफी आराम मिल गया. 

जब मेरे जांच कराने को एक हफ्ते हो गए मैं एक दिन डिस्पेंसरी पहुंचा और वहां की एएनएम से बोला कि मेरी रिपोर्ट कहां है. अभी तक मुझे रिपोर्ट नहीं मिली. उन्हें शॉक लगा. थोड़ी नोंक झोंक हुई और मैडम फिर से एक एक्सल सीट में से चार पांच नाम एक ए-4 कागज पर प्रिंट करके लाईं, जिस पर आईसीएमआर के अधिकारियों के हस्ताक्षर थे और साइन थे और कहा कि यही है आपकी रिपोर्ट... मुझे शक हुआ. 

मैं पॉजिटिव करार दिया गया था, लेकिन मेरे पास किसी भी डॉक्टर को फोन नहीं आया. ना ही आशा वर्कर ने इस बारे में कुछ कहा. उसने मुझे ऑक्सीमीटर भी नहीं दिया था. मेरे नाम से सामान जारी होता तो दस्तावेज में चढ़ता. डॉक्टर फोन करता तो दस्तावेज में दर्ज होता. ऐसा कुछ नहीं हुआ. हम दवा खाते रहे और मटन करी हफ्ते में दो-तीन खाने लगे. मटन का स्वाद भी फीका लगता, लेकिन ताकत के लिए खाते रहे. साथ ही मेरी एक दोस्त ने मुझे कीवी लाकर दी और कहा कि इसमें विटामिन सी भरपूर होता है. खाओ जल्दी ठीक हो जाओगे. 

मैंने सुबह और शाम कीवी खानी शुरू कर दी. साथ में अजवाइन, गुड़, अदरक और काली मिर्च का काढ़ा भी पीते रहे. लेकिन, दिन में सिर्फ दो-तीन बार. जब हमें आधिकारिक से जांच कराए 10 दिन हो गए तो हम फिर डिस्पेंसरी पहुंचे और कहा कि हममें कोई लक्षण हमें जांच करानी है. लेकिन, डिस्पेंसरी वालों ने मना कर दिया. कहा कि जब तक 17 दिन नहीं हो जाएंगे हम जांच नहीं करेंगे. हम वापस लौट आए. 

वापस लौटने के बाद हमने फिर अपने दोस्त रैपिड एंटीजन टेस्ट किए मांगी और खुद से अपना टेस्ट किया. इस बार हमारा टेस्ट निगेटिव आया. हमने राहत की सांस ली. लेकिन, हम बहुत कमजोरी महसूस होती थी. दस सीढ़ियां चढ़ने पर हांफने लगते. बिस्तर पर गिरते ही नींद आने लगती. खर्राटे बढ़ गए थे. एक बार में बहुत ज्यादा खाना नहीं खा पाते थे. मेरी खुराक पांच सामान्य रोटियों की है. लेकिन, मैं तीन ही खा पाता था. हमने बादाम, केले और सेव का भी सेवन करना चालू कर दिया था. साथ में मटन भी... 29 अक्टूबर को हम डिस्पेंसरी गए और अपना टेस्ट कराया. हमारी रिपोर्ट निगेटिव आई और हमें सरकार ने सर्टिफिकेट देने के साथ होम क्वारंटीन से डिस्चार्ज कर दिया. लेकिन, शारीरिक कमजोरी और नाक का पूरी तरह से खुलना बाकी था. 

ये कहानी का पहला पार्ट है. अगले भाग के लिए इंतजार करें. आगे की पोस्ट में कोविड के बाद शरीर पर पड़े असर के बारे में बताऊंगा. इसको लिखने का मकसद ये है कि अगर आपको कभी चिंता हो तो इसे पढ़कर अपने लक्षण मिला लें. धन्यवाद. सुकून और सांत्वना मिलेगी. 

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