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अब सुनाई नहीं देगा... लखनऊ से कमाल खान, एनडीटीवी इंडिया के लिए

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कमाल खान नहीं रहे... सुबह से इस खबर पर यकीन मुश्किल हो रहा है. अब भी जब ये टिप्पणी टाइप कर रहा हूं समझ नहीं आ रहा है कि क्या और कैसे लिखा जाएगा. उनसे कभी मिला नहीं था, बस उनकी रिपोर्ट देखीं थीं, यूट्यूब पर ढूंढ़कर देखा-सुना था और कोशिश रहती थी कि जब भी मौका मिले तो उन्हें देखा और सुना जाए... उनकी रपटों से पहला परिचय आईआईएमएसी में पत्रकारिता की पढ़ाई के दौरान ही हुआ. उस दौरान रवीश की रिपोर्ट और कमाल खान की रिपोर्ट्स का बहुत इंतजार हुआ करता था, पत्रकारिता के छात्र दोनों को बड़े चाव से सुना करते थे. हमने भी कमाल खान की रिपोर्ट्स देखने शुरू की और फिर से सिलसिला कभी खत्म नहीं हुआ... कमाल खान को देखना ऐसा था, जैसे कि यूपी को देखना हो. उन्हें देखने पर लगता था कि ऐसा ही तो है अपना यूपी. उनकी रिपोर्ट्स सामाजिक और राजनीतिक हिंसा पर होती थी, लेकिन मन उद्धेलित नहीं होता था. मन विचलित नहीं होता था... मुझे याद है कि उन्होंने बदलते लखनऊ पर एक रिपोर्ट की थी, कि कैसे लखनऊ समय के साथ बदल रहा है... उस रिपोर्ट ने मेरे मन मस्तिष्क में यह बात बिठा दी कि कमाल खान के पास यूपी और लखनऊ के बारे में कितनी जानका