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बीजेपी के लिए भंवर से आगे बढ़ा यूपी चुनाव, अब शुरू होगी अखिलेश की परीक्षा

यूपी में आज दूसरे चरण का मतदान हो रहा है. निश्चित रूप से पहले और दूसरे चरण में बीजेपी बैकफुट पर रही है और उसे नुकसान हुआ है. लेकिन यूपी में चुनाव क्या खेला कहिए... आज की वोटिंग के बाद शुरू होगा. यानी तीसरे चरण और उसके बाद से, क्योंकि चुनाव अब उन इलाकों में पहुंचेगा, जहां शासन के राशन का असर है. जहां गरीबी और बदहाली है. कोरोना में सबकुछ गंवा बैठे लोग खुलकर कहते हैं कि इससे पहले किसी ने इतना राशन दिया था क्या? दरअसल यही विपक्ष का इम्तिहान है. व्हाट्सऐप, मोबाइल और बीजेपी के स्वयंसेवकों ने अति-पिछड़ों और दलितों (दलित समुदाय के प्रति मैं थोड़ा नरम हूं क्योंकि वह अपनी पार्टी के प्रति ज्यादा वफादार है दूसरों की तुलना में) को यह बताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा है कि अगर योगी-मोदी ना होते तो हालात और बुरे होते. गरीबी और भौतिक सुविधाओं के अभाव में जीने वाले लोग राशन, हर घर नल, उज्जवला, शौचालय, आवास और 500 रुपया अकाउंट में पाकर अपनी सोच पर ताला लगा चुके हैं. हर किसी को इन सभी को योजनाओं का लाभ नहीं मिला है. लेकिन, हर किसी को कुछ ना कुछ मिला है. और ये बताने में बीजेपी और उसके स्वयंसेवकों ने कोई क

UP Election 2022: अब सिर्फ बीजेपी का पोस्टमार्टम बचा है... बदल गया यूपी चुनाव का नैरेटिव

हफ्ते भर पहले किसी को अंदाजा नहीं था कि जिन पिछड़ों और अति पिछड़ों ने 2017 के यूपी चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत में अहम भूमिका निभाई थी और मोदी की छाती चौड़ी की थी, उनके अंदर इतनी नाराजगी है. तमाम विश्लेषक और सामाजिक चिंतक लगातार इस बात को दोहरा रहे थे कि यूपी में अति पिछड़े इस बार जीत और हार तय करेंगे, लेकिन उन्हें भी नहीं पता था कि ओबीसी का रुख क्या है? अभी उनके मन में क्या चल रहा है, क्योंकि इन्हीं नेताओं ने 2017 में बीजेपी को जीत दिलाई थी और हफ्ते भर पहले ये बीजेपी के साथ थे. ओबीसी के ही सपोर्ट से भगवा पार्टी अपने दम पर 300 का आंकड़ा पार कर गई थी. याद करिए अमेठी की वह रैली, जहां मोदी ने खुद को पिछड़ा बताया था. क्योंकि उन्हें पता था कि बीजेपी की जीत के लिए पिछड़ों को अपने साथ लाना पड़ेगा.  बहरहाल, हफ्ते भर में यूपी में बीजेपी की हार पर तर्क गिनाने में लोग हिचकिचाते थे, लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद लगी इस्तीफों की झड़ी ने साफ कर दिया है कि ओबीसी नेताओं में बीजेपी के प्रति कितना आक्रोश और नाराजगी है. यूं कहे कि बीजेपी के 'सबका साथ, सबका विकास' एजेंडे में ओबीसी नेता फिट न