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लव जेहाद’ के शोर में बोलती दीवारों वाला आईना लेकर खड़े हैं इरशाद कामिल

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image_Nandlal Sharma प्रेम जरूरी है किताबों के लिए किताबों से परे केवल बहकावा एक और रख रहा हूं देखिए.. लड़की का प्रेम फितूर लड़के का अय्याशी लड़की का प्रेम जहर लड़के का लहू लड़की का प्रेम मां का रक्तचाप, बाप का हृदय रोग भाई की शर्मिंदगी, मौसी का मसाला बुआ की झोंक, चाची का चटखारा पड़ोसी की लपलपाती जीभ अन्ततः शादी लड़के का प्रेम आज, चलो दूसरी ढूंढ़ें. वाणी प्रकाशन  से प्रकाशित  बोलती दीवारें .. जब दो किरदारों के जरिए फुसफुसाती है तो ये पाठक के कानों को ‘भारी’ लगती हैं. लेकिन जब वे बीच बीच में छोटे-छोटे अंतराल पर कविताएं पढ़ती है, तो अंतर्मन में छोटे-छोटे बुलबुले फूटते हैं और उससे हल्की हल्की आवाज उभरती है इरशाद..इरशाद. बोलती दीवारें..  इरशाद कामिल  लिखित नाटक है. जिसे पढ़ते हुए कई बार लगता है कि आप किसी मुंबइया फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ रहे हो. इरशाद खुद भी यह कहते हैं कि ‘यह नाटक फिल्मी प्रेम पर सैकड़ों गीत लिखने की थकावट का नतीजा है’. लिहाजा अब पाठक को यह तय करना है कि थकावट का नतीजा अच्छा है या बुरा. नाटक की समीक्षा...