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विदेशी खेल अपने मैदान पर: भारतीय क्रिकेट का सामाजिक इतिहास

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Courtesy_google भारत को एक सूत्र में बांधने वाले धागों में एक धागा क्रिकेट भी है. सामाजिक और जातिगत भेदभाव के मुश्किल दिनों से ही क्रिकेट समाज में आपसी समरसता का वाहक बना. राजनीतिक , सामाजिक और राष्ट्रीयता के मुद्दे क्रिकेट के आगे दम तोड़ते गए. इतिहासकार   रामचंद्र गुहा   ने अपनी किताब  ' विदेशी खेल अपने मैदान पर: भारतीय क्रिकेट का सामाजिक इतिहास '   में भारतीय क्रिकेट के हर पहलू का शानदार विश्लेषण किया है. इसी किताब से कुछ चुनिंदा अंश जो क्रिकेट के भूत को एक झटके में बेपर्दा कर देते हैं. जहां महारानी की पताका फहराई , क्रिकेट खेला गया क्रिकेट का भारत में पहला विवरण 1721 में मिलता है जब ब्रिटिश नाविकों ने आपस में कैंबे पत्तन पर एक मैच खेला. इतिहासकार लिखते हैं , हमारे सैनिकों को हॉर्स गॉर्ड्स के आदेश पर उनके रिहायशी इलाकों के पास ही क्रिकेट के मैदान उपलब्ध कराए गए और महारानी के जहाज में उपलब्ध गेंद और बल्ले समुद्र के तिलचट्टों और किनारे पर केकड़ों और कछुओं को हैरान कर देने को मौजूद थे. इस तरह जहां भी महारानी के सेवकों ने विजय पताका फहराई और मौसम अनुकुल था...