Kamal Hasan Vishwaroopam: We all together
जब भी किसी फिल्म, किताब, पेंटिंग या कलाकार / लेखक का विरोध होता हैं। मैं देखता हूं आमतौर तीन तरीके के लोग सामने आते हैं। जैसे एक पक्ष, जो आपका आंख मूंदकर विरोध करता हैं। उसे आपके तर्क और दलीलों से कोई लेना देना नहीं होता। उसे विरोध करना है और वह करता है। उसके बाद एक ऐसे लोगों का समूह उभरता है जो दूर से ही आपको समझाता है। उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। इससे लोगों की भावनाएं आहत होती है। अगर ऐसा करना ही था, तो उसे पूछ लेना चाहिए था कि वो ऐसा करने जा रहा है। इसके बाद एक तीसरा वर्ग, जो आपका दूर से समर्थन करता हैं। यानि लग्घी से पानी पिलाता है.. आप अपने खिलाफ हो रहे तर्कहीन विरोध से जब-जब झुंझलाएंगे वो दूर से ही आपसे कहेगा..भाई मैं तेरे साथ हूं..लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर आपके साथ खड़ा नहीं होगा। क्योंकि उसे डर रहता है कि अगर वो आपका खुले तौर पर समर्थन करता है तो बाकि पक्ष उसके खिलाफ हो जाएंगे। लिहाजा वो लग्घी से पानी पिलाता रहता है और आप गाहे बगाहे झुंझलाते रहते हैं। कमल हसन की फिल्म को लेकर जो ताजा हंगामा मचा है। उसके परिप्रेक्ष्य में ऊपर कही गई बातें मेरे जेहन में बार बार उमड़...