TRAVELOGUE : सहजता और अपनेपन का शहर कोलकाता
Courtesy_Kolkata_google images संतरागांछी रेलवे स्टेशन.. कोलकाता अब भी तीस मिनट दूर है। गीताजंलि एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म पर आकर खड़ी हुई और हम तीन उतर पड़े। गर्मी से बेहाल तीनों लोगों ने पानी पिया और बोतल भरा.. तब तक दूसरे प्लेटफॉर्म पर लोकल ट्रेन आ गई। लोकल ट्रेन की रफ्तार सामान्य से ज्यादा थी। बाकी के दोनों दोस्तों ने कहा कि ट्रेन यहां नहीं रूकेगी आगे प्लेटफॉर्म पर रूकेगी। चूंकि गीतांजलि एक्सप्रेस में हमारी बोगी पीछे थी, इसलिए हम मेन प्लेटफॉर्म से पीछे थे। लोकल ट्रेन तेजी से चली जा रही थी, मैंने कहा छोड़ेगे नहीं, इसी से चलेंगे और तीनों ने दौड़ लगा दी। लोकल ट्रेन के पीछे-पीछे दौड़ते रहे। ट्रेन महज कुछ सेकेंड रूकी और चल दी। हम लोगों ने करीब सात से आठ सौ मीटर की दौड़ लगाई और ट्रेन के रफ्तार पकड़ने से कुछ सेकेंड पहले घुस गए। मैं महिला बोगी में हांफते हुए घुसा और बाकी के दोस्त अगली बोगी में। बहरहाल, लोकल चल पड़ी और कुछ समय बाद हम हावड़ा के भीड़ भरे एक व्यस्त प्लेटफॉर्म पर थे। जोरों की भूख लगी थी हमें हालांकि जेब इजाजत नहीं दे रही थी रेलवे स्टेशन पर कुछ खरीद खाया जाए, लेकिन गर्म