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दिसंबर, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Jawahar Bhawan New Delhi in Images

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Jawahar Bhawan New Delhi has a very rich content about Modern India History. Read it in images. Thanks

Rahul Gandhi: Sampradayikta, Dushprachar, Tanashahi se Aitihasik Sangharsh ‘राहुल गांधी : सांप्रदायिकता, दुष्प्रचार, तानाशाही से ऐतिहासिक संघर्ष

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संविधान नागरिकों को अधिकार देता है, लेकिन जब संविधान ही संकट में हो तो वह नागरिकों से साहस की मांग करता है कि नागरिक अपने अधिकारों की रक्षा के लिए खड़े होंगे. लेकिन डर और नफरत के अंधड़ में फंसे लोग सवाल करने का विवेक खो चुके होते हैं, वे अपनी नौकरी, ईएमआई और भविष्य की फिक्र में सत्ता से सवाल करने की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं. बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जो अपना सबकुछ गंवाकर अंधेरे के पार देखने की कोशिश करते हैं और नागरिक धर्म का पालन करते हुए सत्ता को आईना दिखाते हैं. वरिष्ठ पत्रकार दयाशंकर मिश्र (जो चंद रोज पहले देश के सबसे बड़े मीडिया समूहों में से एक में बतौर एग्जिक्यूटिव एडिटर लीडरशिप पोजिशन में थे) ने ऐसा साहस दिखाया है. दयाशंकर मिश्र ने अपनी किताब 'राहुल गांधीः सांप्रदायिकता, दुष्प्रचार और तानाशाही से ऐतिहासिक संघर्ष' के जरिए सत्ता के सामने आईना रखा है. ये आईना नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्रित्व कार्यकाल को घटनाओं के आलोक में देखता है, जिसमें पाठक को साफ दिखाई देता है कि कैसे 2014 के बाद कभी गौ मांस के नाम पर तो कभी हिंदुत्व की रक्षा के लिए नागरिकों की हत्या शुरू हो

Danasari Anasuya Seethakka Life Story in Hindi: तेलंगाना की कैबिनेट मंत्री दनसरी अनुसूया सिथक्का की कहानी

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जब लगे कि आगे का रास्ता दिख नहीं रहा है, भविष्य क्या होगा तो अनुसूया सिथक्का की कहानी सुनिएगा... एक लड़की जो 14 साल की उम्र में नक्सली बन जाती है. बंदूक थाम सिस्टम के खिलाफ खड़ी हो जाती है और 11 साल तक जंगलों में भटकने के बाद फैसला करती है कि नहीं, अब ये जीवन नहीं जीना. ये गलत कदम है, वापस लौटना होगा तो 1997 में सरेंडर कर देती है. जेल से ही 10वीं की पढ़ाई करती है और जब बाहर आती है तो पढ़ाई जारी रखती है. वकालत की पढ़ाई पूरी कर एक वकील के तौर पर अपनी जिंदगी का नया अध्याय शुरू करती है. फिर उस्मानिया यूनिवर्सिटी से आदिवासियों से संबंधित विषय पर पीएचडी करती है. विषय होता है गोट्टी कोया ट्राइब का सामाजिक बहिष्कार... लेकिन कांग्रेस और राहुल गांधी के साहस की प्रशंसा करनी चाहिए कि उन्होंने अनुसूया सिथक्का को तेलंगाना में कैबिनेट मंत्री बनाया. 11 अक्टूबर 2022 को सिथक्का ने ट्विटर पर लिखा कि मैंने अपने बचपन में सोचा भी नहीं था कि मैं नक्सली बनूंगी. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं वकालत करूंगी. जब मैं वकील बन गई तो कभी सोचा नहीं था कि मैं विधायक बनूंगी. मैंने ये भी नहीं सोचा था कि मैं पीएचडी कर

पांच राज्यों के चुनाव में क्या 2 हजार रुपये के नोट का स्ट्रेटजिक इस्तेमाल हुआ?

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क्या पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में 2000 रुपये के नोट का स्ट्रेटजिक इस्तेमाल हुआ है? आइए खबरों के जरिए ही समझते हैं. 19 मई 2023 को आरबीआई ने 2000 रुपये का नोट बंद करने का ऐलान किया. लेकिन कहा गया कि बाजार में मौजूद नोट लीगल टेंडर रहेंगे. आप एक्सचेंज कर सकते हैं. आरबीआई के ऐलान के बाद नोट एक्सचेंज करने के लिए फिर से लाइन लगी. आरबीआई ने बैंकों को 2000 रुपये के नोट जारी करने से मना किया. 2000 रुपये के नोटों को एक्सचेंज करने की पहली डेडलाइन 30 सितंबर 2023 थी, फिर इसे बढ़ाकर 7 अक्टूबर 2023 कर दिया गया. 1 दिसंबर 2023 को मिंट में छपी शिवांगी की रिपोर्ट को पढ़िए आपको पता चलेगा कि 30 नवंबर 2023 तक 97.26 प्रतिशत 2000 रुपये के नोट बैंकों में पहुंच गए हैं. लेकिन 2000 के नोट अभी भी मार्केट में घूम रहे हैं. जिनका मूल्य 9760 करोड़ रुपया है. लेकिन ये सिर्फ 2.74 फीसदी ही हैं. मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक ही आरबीआई ने कहा है कि 2000 रुपये के नोट लीगल टेंडर बने रहेंगे. मतलब वे रद्दी नहीं हुए हैं. मतलब आप के पास पड़ा नोट रद्दी नहीं है. अब आप सोचिए कि चुनावों से पहले 2000 रुपये के नोट को बैंकों

LOKSABHA ELECTION 2024: हिंदी पट्टी में घिर गई है बीजेपी?

जब आप एक देश एक भाषा एक कल्चर की बात करते हैं तो बंध जाते हैं, क्योंकि फिर आपको दूसरे कल्चर के साथ दिक्कत आती है. साउथ के साथ मामला साफ दिख रहा है. बंगाल और पंजाब के साथ भी दिख रहा है. कश्मीर भी अलग है. नॉर्थ ईस्ट को आप डरा लोगे लेकिन कल्चर अलग है. हालात भी, फिर आ जाइए हिंदी पट्टी में, आपको सत्ता के बचाने के लिए मैक्सिमम सीटें जीतनी हैं. 2014 और 2019 से भी ज्यादा सीटें जीतनी हैं. तो फिर हिंदी पट्टी की सभी सीटें जीतनी होंगी. अपनी सीमा से बाहर निकले ईवीएम की मदद ली तो एक्सपोज होने का डर है. परिणामों पर लोग भरोसा नहीं करेंगे. बेशर्मी से जीत भी लिए तो सवाल होंगे. तो फिर क्या इंडिया 2024 में हारने के बाद EVM पर सवाल उठाएगा या 2024 का चुनाव ही EVM बनाम बैलेट की वापसी को लेकर लड़ेगा. तय करना पड़ेगा. समय नहीं है.