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अमरूद की चटनी - Guava Chutney recipe - Amrood Ki Chutney

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Courtesy_Google एक कमरा था। मन भर उदासियां थी, खामोशियों की शक्ल में। दराज में रखी किताब पर लिखा था। तमन्ना तुम अब कहां हो? जीने की तमन्ना। उसने पूछ ही लिया क्या हमारे पास एक दूसरे के लिए तमन्नाएं नहीं है। क्या हमारे पास बतियाने और कहने को कुछ नहीं है। इतनी देर से हम खामोश क्यों है? ये किताब तुमने पढ़ी है। हां, पढ़ी है। इसमें अमरूद की चटनी पर एक कहानी है। तुमने कभी अमरूद की चटनी खाई है। अमरूद के पास हमेशा एक स्वाद होता है रंग होता है। तुमने कभी कुछ मांगा नहीं। कहा नहीं। बस चलते रहे। मेरे साथ साथ। अचानक से वो उठा और कहा चलो आज तुम्हें अमरूद की चटनी खिलाते है। दोनों किचन में घुसे। आगे पीछे। वह कई तरह की चटनी बनाना था। आम की चटनी। इमली की चटनी। अमरूद की चटनी। धनिया की चटनी। लहसून की चटनी। मिर्च की चटनी। तमाम अचारों की चटनी। जितनी चटनी उसकी बहनों ने उसे बनाई के खिलाई। वो सब बना लेता था। उसके दोस्त कहते, जब खुश होता है तो चटनी बनाता है। उन्हें नहीं मालूम था कि वो चटनी के जरिए प्यार जताता है। कच्चा अमरूद कसैला होता है। पक्का अमरूद मीठा। चटनी कच्चे अमरूद की बनती है। जो तीखी ह

ARVIND KEJRIWAL VS INDIAN MEDIA

इतना नंगा तो मीडिया किसी चुनाव में ना हुआ! समय आ गया है कि सेलेब्रिटी पत्रकार लोग अपनी संपत्ति की घोषणा करें? चैनलों-अखबारों के ट्वीट देखिये, खबर का एंगल देखिए। एक मेटल डिटेक्टर टूट जाता है तो मुंबई में अफरातफरी मच जाती है। ये खबर कौन छापता है। मेटल डिटेक्टर के टूटने से मुंबई में अफरातफरी का बात का कोई कनेक्शन है। बात सिर्फ कवरेज से खत्म नहीं हो जाती है। क्यों चैनलों ने अपनी आंखें बंद कर ली और राजनीतिक पार्टियों के कैमरों से सबकुछ दिखाने लगे। जब केजरीवाल कहते हैं कि पत्रकारों को जेल भेजेंगे, तो बात पूरी मीडिया पर क्यों आ जाती है? क्या मीडिया का मतलब सिर्फ चैनल वाले ही है। उन कॉरपोरेट निहितार्थो का क्या होगा? जिन्होंने Media कंपनी में शेयर है। पत्रकार लोग अपनी संपत्ति की घोषणा क्यों नहीं करते हैं। वे क्यों नहीं बता रहे है कि उन्हें बंगला कहां से मिला, कैसे खरीदा। कहां से खरीदा, अपनी सैलरी क्यों नहीं बताते? चैनल वाले भूल गए है कि व्यक्ति सूचना के जरिए ही अपनी राय बनाता है। चैनल वाले एक तरफा राय क्यों दे रहे हैं। केजरीवाल के बयान पर इतनी हाय तौबा क्यों मचा रहे है मीडिया व

प्रेम धधकता बहुत है.. दिलों में

उपलों की तरह उदासियां  थाप दी गई है कल्पनाओं के कैनवास पर  और तब से ओढ़ ली है मैंने खामोशी  तुम्हारे ना होने से उपजे दर्द को ढंकने के लिए  लेकिन एक दिन मैं उगल दूंगा भाव शून्य होने से पहले  सारा दर्द.. सारी खामोशी  उस मटके में  जिसे तुमने रखा था गुलाब रोपकर  मकान के मुंडेर पर  ये कहते हुए कि ये हमारे प्रेम का प्रतीक है. अब मुरझाने लगा है  वो.. लाल गुलाब  उसकी सांसों की आवृति डूबने लगी है लेकिन प्रेम डूबेगा नहीं मैं रोप दूंगा उसे  भूमि की कोख में  गर्माहट से भरी एक सुबह  मेरा प्रेम आंखें खोलेगा और तब दुनिया जानेगी दो अनजान प्रेमियों के बारे में  जो अछूत थे, दुनिया के लिए  जिनका प्रेम असहय था  पाक-साफ, धोई-पोछी संस्कृति के लिए  लोग पूछेंगे.. उनका गुनाह क्या था?  प्रेम समा नहीं पाता  दुनियानवी खांचों में  मैंने देखा है.. उपलों की आग की तरह  संस्कृति के अहरा पर  प्रेम धधकता बहुत है..  दिलों में.. 21-02-2014

ब्याज

जब मैं लोन लेने गया, पूंजीवाद के साहूकारों ने इंकार कर दिया सेठ का बच्चा पढ़ने विलायत गया, ब्याज जन हितैषी सरकार ने चुकाया 17-01-2014

'वैलेंटाइन डे'

दुनिया भर में प्रेम पर लिखी गई कविताएं उत्पादों की शक्ल में बाजार के रेड कॉरपेट पर मचल रही है.. प्रेम की कथित उत्सवधर्मिता के बहाने तय कीमतों पर बाजार मेरी देहरी तक आ गया है मैं अपने कलेजे में प्रेम दबाए अपने ही चौखट में सिमटा हुआ हूं। 17-01-2014

जिंदा

महीने में एक कविता लिख लेना जिंदा रहने के लिए काफी है... 

क्या यह युवराज की वापसी का संकेत हैं?

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आईपीएल का सातवां संस्करण शुरू होने में अभी दो महीने बचे हैं। लेकिन फरवरी के पहले हफ्ते में मीडिया में आई खबरों पर गौर करे तो इस बात की चर्चा थी कि विराट कोहली, युवराज सिंह को आईपीएल की अपनी टीम में चाहते हैं। 6ठें संस्करण में आरसीबी की कप्तानी करने वाले कोहली को विजय माल्या ने निराश नहीं किया और युवराज के लिए 14 करोड़ रूपए खर्च किए। लिहाजा आईपीएल सीजन 7 के लिए हुई नीलामी में युवराज सिंह किंग बन कर उभरे। उन्हें रॉयल चैंलेजर्स बेंगलूरू ने 14 करोड़ रूपए में खरीदा।  आईपीएल नीलामी में फ्रेंचाइजियों के बीच प्रतिद्वंदिता को देखकर युवराज राहत महसूस कर रहे होंगे। वजह साफ है। ये युवराज को भी मालूम है कि हाल के सालों में उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। कैंसर से उबरने के बाद युवराज मैदान पर वापसी करने में तो सफल रहे लेकिन जितने मैच उन्होंने खेले वे टीम इंडिया में उनकी जगह को पक्का नहीं कर पाए। लिहाजा उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया।  घरेलू मैचों और रणजी ट्रॉफी में भी युवराज कोई चमकदार प्रदर्शन नहीं कर पाए। भारतीय टीम से बाहर होने के बाद क्रिकेट विशेषज्ञों ने भी कहना शुरू कर दिया था युवराज के