ARVIND KEJRIWAL VS INDIAN MEDIA
इतना नंगा तो मीडिया किसी चुनाव में ना हुआ! समय आ गया है कि सेलेब्रिटी पत्रकार
लोग अपनी संपत्ति की घोषणा करें? चैनलों-अखबारों के ट्वीट देखिये, खबर का एंगल
देखिए। एक मेटल डिटेक्टर टूट जाता है तो मुंबई में अफरातफरी मच जाती है। ये खबर कौन छापता है। मेटल डिटेक्टर के टूटने से मुंबई में अफरातफरी का बात का कोई
कनेक्शन है। बात सिर्फ
कवरेज से खत्म नहीं हो जाती है। क्यों चैनलों ने अपनी आंखें बंद कर ली और राजनीतिक
पार्टियों के कैमरों से सबकुछ दिखाने लगे। जब केजरीवाल कहते हैं कि पत्रकारों को
जेल भेजेंगे, तो बात पूरी मीडिया पर क्यों आ जाती है?
क्या मीडिया का मतलब सिर्फ चैनल वाले ही है। उन कॉरपोरेट निहितार्थो का क्या होगा? जिन्होंने Media कंपनी में शेयर है। पत्रकार लोग अपनी संपत्ति की घोषणा क्यों नहीं करते हैं। वे क्यों नहीं बता रहे है कि उन्हें बंगला कहां से मिला, कैसे खरीदा। कहां से खरीदा, अपनी सैलरी क्यों नहीं बताते? चैनल वाले भूल गए है कि व्यक्ति सूचना के जरिए ही अपनी राय बनाता है। चैनल वाले एक तरफा राय क्यों दे रहे हैं।
केजरीवाल के बयान पर इतनी हाय तौबा क्यों मचा रहे है मीडिया वाले। कल ही एक भाई साहब से बात हो रही थी कह रहे थे कि ये केजरीवाल अभी क्यों आया। पांच साल बाद आता, मोदी को पीएम बन जाने देता। कैसा मीडिया, कैसा चौथा खंभा। अरे भाई जब मीडिया कंपनी के नाम पर आप शेयर बाजार में बिजनेस कर रहे हो। Media मुनाफा कमा रहा मीडिया कितना बड़ा खंभा है ये तय हो जाता है। आम जन से मीडिया का कितना सरोकार है? ये सबको नजर आने लगता है।
क्या मीडिया का मतलब सिर्फ चैनल वाले ही है। उन कॉरपोरेट निहितार्थो का क्या होगा? जिन्होंने Media कंपनी में शेयर है। पत्रकार लोग अपनी संपत्ति की घोषणा क्यों नहीं करते हैं। वे क्यों नहीं बता रहे है कि उन्हें बंगला कहां से मिला, कैसे खरीदा। कहां से खरीदा, अपनी सैलरी क्यों नहीं बताते? चैनल वाले भूल गए है कि व्यक्ति सूचना के जरिए ही अपनी राय बनाता है। चैनल वाले एक तरफा राय क्यों दे रहे हैं।
केजरीवाल के बयान पर इतनी हाय तौबा क्यों मचा रहे है मीडिया वाले। कल ही एक भाई साहब से बात हो रही थी कह रहे थे कि ये केजरीवाल अभी क्यों आया। पांच साल बाद आता, मोदी को पीएम बन जाने देता। कैसा मीडिया, कैसा चौथा खंभा। अरे भाई जब मीडिया कंपनी के नाम पर आप शेयर बाजार में बिजनेस कर रहे हो। Media मुनाफा कमा रहा मीडिया कितना बड़ा खंभा है ये तय हो जाता है। आम जन से मीडिया का कितना सरोकार है? ये सबको नजर आने लगता है।
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