टूट जाएगा सिलसिला उधार का
हर सांस उधार मांग रखी है हमने खुदा से मांगकर बढ़ता जा रहा है वक्त का कारवां शायद मेरी सिफारिशों का कोई असर नहीं तुमसे मिलने की उमंगे, हिलोरे मार रही है सब्र के बांध में दरारें पड़ रही है डर है कहीं, तूफां वक्त से फहले ना आ जाए थम जाएगी मेरी सांसों की हलचल टूट जाएगा सिलसिला उधार का जब भी आओगे हमसे मिलने को मिल जाएगी, कहीं रेत तो कहीं पानी की हलचलें