संदेश

टूट जाएगा सिलसिला उधार का

हर सांस उधार मांग रखी है हमने खुदा से मांगकर बढ़ता जा रहा है वक्त का कारवां शायद मेरी सिफारिशों का कोई असर नहीं तुमसे मिलने की उमंगे, हिलोरे मार रही है सब्र के बांध में दरारें पड़ रही है डर है कहीं, तूफां वक्त से फहले ना आ जाए थम जाएगी मेरी सांसों की हलचल टूट जाएगा सिलसिला उधार का जब भी आओगे हमसे मिलने को मिल जाएगी, कहीं रेत तो कहीं पानी की हलचलें

आइने से पूछ रहा हूं

उनकी पलकें उठी है,  मेरी सुबह के लिए चांद सा रोशन उनका चेहरा,  मेरी शाम के लिए बोलती आंखें कंपकपाते होंठो से,    होश गवांए सुन रही है  मेरी आंखे मोहब्बत के दो पल के लिए,    फरियाद की हमने फूटते लबों से  उनकी नजरों ने हां की है आइने से पूछ रहा हूं,    खुद को संवारने के तरीके उस वक्त की रूमानियत में निगल रहा हूं, अ पनी सांसे

तुम्हारी छुअन से

उस रात की महफिल के बाद. जगह की कमी से.. तुम सोई थी मेरे बगल में. जिस्म सिहर उ ठा.. तुम्हारी इक छुअन से...                          

वो कली

काले लिबास में लिपटी  वो कली. सबके दिल को चुराए  उसकी हंसी.. तीरे-ए-नजर कातिल बनी  वो कली. मासूमियत भरे चेहरे.. काली जुल्फें और शराबी होंठ. कितनी हसीन  वो कली..

हर लौ में

हर शाम तेरी उम्मीद में. दिया जलाते है.. शाम ढलते, मेरी नजरें. तुम्हें ढूंढ़ती हर महफिल में.. मेरी रातें कट जाती है. तेरे शहर की गलियों में.. लेकिन तुमसे मिलने की उम्मीद. दिये की हर लौ में नजर आती है.....

हवाएं गुदगुदाती है

जाम बनके हर प्याले में नजर आती हो. नशा बनके हमपे छा जाती.. हर महफिल में बस तू ही तू. ये मदमस्त हवाएं गुदगुदाती है.. जब याद बनके. तू हमें रूला जाती हो..

सरकारी स्कूलों से नक्सलवाद नहीं पनपता श्रीश्री

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आज सुबह ऑफिस पहुंचा, जयपुर पेज खोलते ही एक खबर देखी। शीर्षक था, सरकारी स्कूलों से उपजता है नक्सलवादः श्रीश्री रविशंकर, होठों पर एक कुटिल पसर गई। मैं समझ गया मन और दिल को श्रीश्री रविशंकर का बयान पचा नहीं। जैसे जैसे सूरज चढ़ता गया श्रीश्री खबरों में छाने लगे। पहले शिक्षक संघ वालों ने विरोध जताया और फिर कुछ सरकारी स्कूलों में बच्चों ने भी नाराजगी जताई। शाम होते होते पता चला कि जयपुर के सांगानेर इलाके की मजिस्ट्रेट कोर्ट में श्री श्री के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया गया है और गुरूवार को सुनवाई होगी। दिन भर श्रीश्री के बयानों से खेलने के बाद ये बात समझ में आ गई कि श्रीश्री के विचार और सोच कैसी है। वे एक आध्यात्मिक गुरू है या फिर निजी औऱ आध्यात्मिक स्कूलों के हिमायती। दरअसल रविशंकर ने मंगलवार शाम को अंबाबाड़ी इलाके में एक कार्यक्रम के दौरान साफ साफ शब्दों में कहा था कि सरकारी स्कूलों को बंद कर देना चाहिए क्यों कि यहां नक्सलवाद पनपता है। लेकिन हर बार की तरह अब वे एक बार फिर सफाई देते फिर रहे है। उनके बयान को लेकर चारों ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। आखिर किस बेसिस पर रविशंकर ने