आत्मशोधन, आत्मनिरीक्षण और आत्मपरीक्षण।
आज के समय में गाँधी के आदर्श और उनके मूल्यों की जरूरत हर किसी को हो रही हैं। देश में बढ़ती हिंसा और अमीर गरीब के बीच बढती खाई ने गाँधी के बताये रास्तों पर चलने वालों के माथे पर शिकन की लकीरें खींच दी हैं। आज गाँधी के ग्राम स्वराज की कल्पना का दूर- दूर तक कोई निशान दिखाई नहीं देता। आज देश की सत्ता कुछ चंद गिने चुने उद्योगपतियों और राजनेताओं के हाथों का खिलौना बनकर रह गयी है। गाँधी के जन्मदिन और पुण्यतिथि पर उनके समाधिस्थल राजघाट पर फूल चढ़ाने वालों की कोई कमी नहीं है। लेकिन फूल चढ़ाने वालों को गाँधी के विचारों , मूल्यों और सपनों से कोई लगाव नहीं है। इसका कारण बहुत कुछ है, लेकिन ये तो कहा जा सकता है की आज के सत्ताधीशों की पीढ़ी ने गाँधी के विचारों और मूल्यों से तौबा कर ली है। गाँधी को समझने के लिए मात्र तीन चीज़ें ही काफी है। आत्मशोधन, आत्मनिरीक्षण और आत्मपरीक्षण। अगर आप ने इन तीनों को अपने जेहन में उतार लिया तो समझिये आप ने गाँधी को समझ लिया। अगर हम गाँधी द्वारा किए गए कार्यो का अवलोकन करे तो गाँधी के व्यक्तित्व में ये तीनों चीज़ें साफ दिखती हैं । गाँधी को ह