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तुम्हारे उरोजों में मुंह दबाए सुबक रहा हूँ मैं

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हर सुबह  तुमसे आलिंगन होने का ज्वार मुझे विक्षिप्त कर देता है वासना के ज्वार में कांपता शरीर जंघाएँ दौड़ती हैं तुम पर वार करने को काठ हुआ शरीर चिपक जाता है बिस्तर से दीवार पर बैठी तुम हजार अंगड़ाईयाँ लेती हो फिर दीवार से उतरकर मेरे सामने खड़ी हो जाती हो निर्झर शाख की तरह ज्वार में विक्षिप्त मैं डूब जाता हूँ पसीने के दरिया में तुम्हारे उरोजों में मुंह दबाए सुबक रहा हूँ मैं तुम्हें पाने के बुखार में 

Lokasabha Election 2019 : Purvanchal ka kya Scene hai - 1

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Lord Cornwallis tomb_Nandlal Sharma 16 मार्च 2019, 3000 की आबादी वाला एक गांव, ज्यादातर किसानों का परिवार, सवर्ण बहुल गांव और उस कोढ़ में खाज की ज्यादातर बेरोजगार सवर्ण युवा ही हैं जो गांव में बचे हैं. वरना ज्यादातर गांव छोड़ रोजी रोटी के चक्कर में शहरों में निकल गए हैं। 2017 में यूपी में योगी सरकार आने के बाद गौ वंश बचाने की आवाज खूब उठी है। लेकिन, हुआ क्या। खेतिहर परिवारों के गौ वंश सड़कों पर आ गए। आवारा जानवर बन गए और उन्हीं खेतिहर परिवारों की खेतों में खड़ी फसलों  को नुकसान पहुंचाने लगे। सुनी-सुनाई तो ये है कि गांव में 47 आवारा जानवर हो गए थे। परती टोला की ओर से निकलते हुए एक दिन तो मैंने ही आधा दर्जन से अधिक सांड़ बांस की झाड़ में बैठे देखें। लेकिन, ये सब कुछ एक कहानी के खत्म होने के बाद की पटकथा है, कहानी तो ये है कि हिंदू वाहिनी और विश्व हिंदू परिषद के नए गुर्गे गाय बचाने के नाम पर खूब मौज कर रहे हैं। गाय और हिंदुत्व के नए कार सेवकों ने 40 से ज्यादा सांड़ों को हजारों रुपये से ज्यादा में बेच कर पैसा ऐंठ लिया। इन आवारा जानवरों की कौन फिक्र करता, लेकिन जो फिक्र करने की जिम्मेदा...

Vande Bharat Express : A Journey to Varanasi

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Image_Nandlal ट्रेन की जिस बोगी में बैठा हूँ, उसमें 32 इंच की चार स्क्रीन लगी हैं। हर स्क्रीन पर बार-बार नरेंद्र मोदी का चित्र उभरता है और वो  यात्राओं में दिखाई देते हैं। लाल किले पर दिखाई देते हैं। भाषण देते दिखाई पड़ते हैं। रेलवे परियोजनाओं की जानकारी देती  स्लाइड्स को देखकर बहुत सारे सहयात्री उत्साही नजर आते हैं। मेरी बगलवाली सीट पर बैठा आदमी (जिसे कानपुर जाना है) कहता है कि कुछ भी कहिये 'मोदी जी के पास कुछ कर गुजरने का जुनून तो है'. सुबह का समय है सबको नींद आ रही है, मैं भी सोने की कोशिश करता हूँ. 1800 रुपये वाले चेयरकार में साढ़े 6 बजे के समय दो बिस्किट और कॉफी मिली थी और ये कॉफी इतनी थी कि आप नींद को कुछ देर के लिए झटक सके. इतने में पीछे वाली बोगी से एक नौजवान हैंड ट्राइपॉड पर मोबाइल के जरिये वीडियो शूट करता दिखाई देता है. ट्रेन में स्पीकर लगा है और नियत समय पर घोषणाएं होती है. पहले कुछ सेकेंड के लिए तेज इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक बजता है और फिर एक थकी हुई आवाज, जिस पर उत्साहित दिखने का बोझ है, यात्रियों का स्वागत करती है. सुबह के समय हुई घोषणाओं में अनाउंसर वन्दे भारत ...

राम मंदिर वाया हनुमानगढ़ी

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Image Courtesy_Google हिन्दू ने कहा मुसलमान ने कहा ठाकुर ने कहा जाट ने कहा आदिवासी ने कहा बाभन ने कहा मितरो ने माना इक वानर को अपना भाजपा का झांसा सबको ही फांसा निष्कर्ष - मितरो आपने हनुमान को अपना माना, तो मन्दिर निर्माण की जिम्मेदारी आपकी हुई कि नहीं। क्योंकि राम मंदिर का रास्ता वाया हनुमानगढ़ी जाता है। सब फसेंगे उनके झांसे में, सब बनेंगे दंगाई। #HanumanJi

कविताः आस्तिक

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Image Courtesy_@nandlalflute मैं इश्क में हूं और अपने हमनवां की इबादत करता हूं तुम मुझे नास्तिक कहो, ये तुम्हारा प्रमेय है. 

Rahul Gandhi: Being Congress President in times of Modi

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Rahul Gandhi files his party presidency papers on 4th December 2017. Picture: Twitter गुजरात चुनाव में राहुल गांधी के लगभग हर भाषण सुन रहा हूँ. राहुल अपने समकक्ष नेताओं में सबसे समझदार, पढ़े लिखे और सामने वाले को सुनने में यकीन रखने वाले हैं. अपने परिवार में राहुल पांचवें सदस्य हैं. जो कांग्रेस की बागडोर सम्भालने जा रहे हैं. लेकिन, राहुल के सामने कोई आसान चुनौती नहीं है. ये आजादी के पहले भी थी और गांधी की हत्या के बाद विकराल रूप में उभरकर सामने आई. हालांकि तब समाज को नेतृत्व देने वाले नेता आज के नेताओं के मुकाबले कहीं ज्यादा बेहतर थे. उनकी सोच एक बेहतर समाज रचने की थी, जहां शांति और भाईचारा हो. लक्ष्य एक वैज्ञानिक समाज बनाने की थी. हर कांग्रेस अध्यक्ष के सामने अलग-अलग चुनौती रही है, लेकिन उन सबकी चुनौतियों में जो कॉमन है वो थी साम्प्रदायिकता.  गांधी की हत्या के बाद साम्प्रदायिकता ने अपना फन फैला लिया था, लेकिन उसके मुकाबले के लिए हमारे पास नेहरू की अगुआई में ऐसे बहुत सारे नेता थे जो समाज को दिशा दे सकते थे, साम्प्रदायिकता का फन कुचल सकते थे. आज की तरह समाज बंटा हुआ नहीं था...

प्रिये, तुम अनन्त आकाश हो!

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Pic: Google मैं हर दिन हर रात हर पहर हर पल अपनी सैकड़ों फंतासियों में हर पल पिरो रहा हूँ तुम्हें मेरी सांस की हर माला  तुम्हारे बदन की महक में लिपटी है. मैंने इन सहस्त्रों सालों में करोड़ों फूलों को स्पर्श किया है लेकिन वो कोमलता भरी गर्माहट  मुझे नहीं मिली मृदुल पंखुड़ियों में मैं हजारों योनियों में जन्मा सहस्त्रों वर्षों भटका तुम्हें पाने को बगिया बगिया इस ब्रह्मांड में ढूंढ़ते हुए तुम्हारा एक स्पर्श मैंने करोड़ों आकाश गंगाओं को  नंगी आंखों से निहारा उनकी आंखों में झांक के देखा लेकिन नहीं मिली वो हया जो तुम्हारी आँखों में है जिनकी क्षणिक बौछार भिगो देती है मुझे तुम्हारा पका कत्थई जिस्म छाया है मेरी आँखों पर  अनन्त आकाश की तरह मैं अपनी सीमित कल्पनाओं में  तुम्हें उकेर रहा हूँ अपनी अंगुलियों से रंग भर रहा हूँ मन की कन्दराओं में बनी तुम्हारी छाया भित्तियों में पलकों पर, होंठो पर ग्रीवा से उतर कर नाभि तक नितम्बों से उठाकर कूल्हों पर फैला दिया है  धानी रंग तुम्हारी पीठ पर फैला दी है...

IPL 10 में इन चार खिलाड़ियों पर रहेगी नजर

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इस बार का आईपीएल मेरे लिए मिश्रित भावनाओं वाला है। कई खिलाड़ी हैं, जिनके लिए इस बार आईपीएल देखा जाना चाहिए। हालांकि ये कोई उभरते सितारे नहीं है, बल्कि अपने खेल से करोड़ों दिलों पर राज कर चुके वो किंग हैं जिनका सूरज ढलान पर है। इन्हीं खिलाड़ियों के खेल पर नजर रखने के लिए आईपीएल देखा जाएगा। आइए एक नजर डालते हैं उन खिलाड़ियों पर जिन रहेगी मेरी नजर... युवराज सिंह  युवी के लिए आईपीएल के 10वें सीजन में सबसे बड़ी फायदे की बात ये है कि वे इस लो प्रोफाइल हैं। बड़ा हल्ला नहीं है उनको लेकर ऐसे में उन पर दबाव कम है। युवी आईपीएल में अब तक कुछ खास नहीं कर पाए हैं। टीम मालिकों ने उन पर पैसों की बरसात तो की लेकिन वे अपने बल्ले से रनों की बरसात नहीं कर पाए। ऐसे में देखना ये है कि लो प्रोफाइल युवराज का बल्ला कितना बोलता है। युवी अब पहले से कहीं ज्यादा फिट हैं और इंग्लैंड के खिलाफ वन-डे सीरीज में शतक जड़कर उन्होंने कॉन्फिडेंस हासिल किया है। युवी के लिए आईपीएल देखा जाना चाहिए। सुरेश रैना बाएं हाथ के इस खिलाड़ी का करियर पटरी से उतरा हुआ दिख रहा है। घरेलू सीजन में रैना ने किनारा कर लिया था, ...

A Letter to Congress Vice President Rahul Gandhi

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Congress Vice President Rahul Gandhi आदरणीय राहुल जी , नमस्कार! मैं 29 साल का एक युवा हूं जो महात्मा गांधी और पंडित जवाहर लाल नेहरू के मूल्यों और सिद्धांतों में विश्वास करता है। इसी नाते यह पत्र आपको लिख रहा हूं। देश में जिस तरह राजनीतिक द्वेष का वातावरण बना हुआ है , लोग आपकी तरफ मुंहबांए देख रहे हैं। भारत की समरसता और विविधता को बचाने की जिम्मेदारी आप पर है। मैं इस बात को समझता हूं कि राजनीतिक समीकरण हमारे साथ नहीं है , लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं है कि हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें। हमें आगे बढ़कर चुनौतियों का मुकाबला करना है। आर्थिक और सामाजिक मोर्चे पर आम जनता के हितों पर लगातार चोट हो रही है , लेकिन राष्ट्रभक्ति और हिंदुत्व की चाशनी में लपेटकर इसे देशभक्ति साबित किया जा रहा है। हमें संविधान के मूल्यों को हाथ में लेकर रणक्षेत्र में निकलना होगा। अपने विश्वास और राजनीतिक मूल्यों के साथ हमें लोगों के बीच घुल जाना होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी को सामाजिक न्याय की राजनीति से बहुत डर लगता है। आपको यही छोर पकड़ना है और निकल पड़ना है स्कूलों , कॉलेजों , पार्कों ...

Bachelors Kitchen : Paneer Sweet Dish

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Courtesy_Social Media घर से दूर रहने वालों के लिए स्वादिष्ठ और बढ़िया खाने की तलब हमेशा रहती है। अगर कुछ मीठा खाना हो तो बाहर से मंगाने के अलावा कोई विकल्प नजर नहीं आता। बैचलर लड़कों के लिए पहाड़ सा काम नजर आता है, कुछ मीठा सा अपने हाथों से बना लेना..। अगर आप इस परेशानी के आगे हार मान जाते हैं और बाहर का खाते हैं.. तो आज हम आपको एक ऐसी डिश बताने जा रहे हैं जो मिनटों में तैयार होगी और आपको मुंह में मिठास घोल देगी। जी, हां यह एक स्वीट डिश है, जो कभी भी किसी भी मौके पर बनाई जा सकती है। चाहे दोस्तों के साथ पार्टी का मूड हो या अकेलेपन में कुछ मीठा खिलाने का या अपनी गर्लफ्रेंड को इम्प्रेस करने का.. चलिए आपको बताते हैं कि इसे बनाना कैसे हैं। पनीर का खुरमा  बनाने के लिए हमें चाहिए - पनीर 100 ग्राम और और 100 ग्राम शक्कर पिसी हुई। पिसी हुई शक्कर आपको बाजार से मिल जाएगी.. टेंशन नॉट  अगर पनीर बहुत देर से फ्रीज में रखा हो तो उसे तीन चार मिनट के लिए थोड़े से गुनगुने पानी में रखे दें। फिर उसे निकालकर छोटे-छोटे मन चाहे आकार में काट लीजिए।  पैन को गरम कीजिए और मद्धिम आंच ...

ईश्वर की आराधना और मेरा अंतर्द्वंद

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Courtesy_Nandlal Sharma नवरात्र चल रहा है और हर कोई ईश्वर की आराधना में जुटा है। मां दुर्गे की पूजा, व्रत और कर्मकांड में हर व्यक्ति लीन दिखाई पड़ रहा है पूरी तन्मयता और भाव से.. लेकिन ये लोग सात्विक भाव और लगन कहां से आते हैं? जब अन्य व्यक्तियों को पूजा करते हुए देखता हूं तो यही सोचता हूं कि आखिर ये लोग कैसे दो-दो घंटे ध्यानमग्न होकर पूजा कर लेते हैं। मैं तो कर ही नहीं पाता हूं।  ईश्वर के सामने निर्विकार भाव से खड़ा भी नहीं हो पाता हूं। आखिर दो-दो घंटे लोग पूजा और आराधना कैसे कर लेते हैं। एक मूर्ति, कैलेंडर या फोटो के सामने कैसे ध्यानमग्न हो पाते हैं। चलो मान लेते हैं कि सवा करोड़ के इस देश में एकाध करोड़ लोग ध्यान करके स्वयं को स्थिरपज्ञ बना लिए होंगे। अपने आराध्य के सामने बैठने पर ध्यानमग्न हो जाते होंगे..  लेकिन बाकियों का क्या? आखिर वो कैसे ध्यान धारण करते हैं।  मैं नास्तिक नहीं हूं। ईश्वर में मेरी आस्था है, लेकिन बनावटीपन और ढकोसले मुझे पसंद नहीं है। मैं किसी का फॉलोवर नहीं हो सकता। चाहे वो ईश्वर ही क्यों न हो, मेरी उनमें आस्था है और मैं उनका सम्मान कर...