Danasari Anasuya Seethakka Life Story in Hindi: तेलंगाना की कैबिनेट मंत्री दनसरी अनुसूया सिथक्का की कहानी

जब लगे कि आगे का रास्ता दिख नहीं रहा है, भविष्य क्या होगा तो अनुसूया सिथक्का की कहानी सुनिएगा... एक लड़की जो 14 साल की उम्र में नक्सली बन जाती है. बंदूक थाम सिस्टम के खिलाफ खड़ी हो जाती है और 11 साल तक जंगलों में भटकने के बाद फैसला करती है कि नहीं, अब ये जीवन नहीं जीना. ये गलत कदम है, वापस लौटना होगा तो 1997 में सरेंडर कर देती है. जेल से ही 10वीं की पढ़ाई करती है और जब बाहर आती है तो पढ़ाई जारी रखती है. वकालत की पढ़ाई पूरी कर एक वकील के तौर पर अपनी जिंदगी का नया अध्याय शुरू करती है. फिर उस्मानिया यूनिवर्सिटी से आदिवासियों से संबंधित विषय पर पीएचडी करती है. विषय होता है गोट्टी कोया ट्राइब का सामाजिक बहिष्कार... लेकिन कांग्रेस और राहुल गांधी के साहस की प्रशंसा करनी चाहिए कि उन्होंने अनुसूया सिथक्का को तेलंगाना में कैबिनेट मंत्री बनाया. 11 अक्टूबर 2022 को सिथक्का ने ट्विटर पर लिखा कि मैंने अपने बचपन में सोचा भी नहीं था कि मैं नक्सली बनूंगी. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं वकालत करूंगी. जब मैं वकील बन गई तो कभी सोचा नहीं था कि मैं विधायक बनूंगी. मैंने ये भी नहीं सोचा था कि मैं पीएचडी करूंगी. अब आप मुझे डॉ अनुसूया सिथक्का बुला सकते हैं, पीएचडी इन पॉलिटिकल साइंस. दनसरी अनुसूया को लोग सिथक्का के नाम से जानते हैं, पूर्व नक्सली कमांडर रहीं सिथक्का लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं और हमेशा न्याय के लिए लड़ती हैं. सिथक्का ने अपनी राजनीति की शुरुआत चंद्रबाबू नायडू की पार्टी तेलुगू देशम से की थी और 2009 में पहली बार विधायक चुनी गईं. बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गईं और 2018 में पहली बार कांग्रेस की विधायक बनीं. लेकिन सिथक्का के लिए नक्सलवाद छोड़कर मुख्यधारा की दुनिया में आना आसान नहीं था. सिथक्का ने नक्सली जीवन त्याग दिया लेकिन उनके पति ने नहीं छोड़ा. बाद में वह एक एनकाउंटर में मारे गए... कोरोना आया तो सिथक्का ने लोगों की मदद में दिन रात एक कर दिया. घने जंगलों में जा जाकर उन्होंने लोगों को मदद पहुंचाई. राशन से भरे अनाज खुद ढोए और सिर पर लाद दूर दराज के आदिवासी इलाकों में लोगों के घरों तक पहुंचाया. सिथक्का की इस मेहनत को दुनिया ने वायरल वीडियो के रूप में देखा और उनकी लोकप्रियता तेलंगाना में बढ़ती चली गई. 2022 में जब राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा लेकर निकले तो सिथक्का ने उनके साथ-साथ पूरा तेलंगाना पैदल ही नाप डाला. इस बीच कांग्रेस ने सिथक्का को महिला कांग्रेस का महासचिव बनाया. और फिर छत्तीसगढ़ राज्य का प्रभारी भी बनाया. और 2023 के तेलंगाना चुनाव में कांग्रेस को मिली जीत के बाद सिथक्का को कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी मिली. चुनाव प्रचार के दौरान सिथक्का कहीं भी जाती थीं उनके समर्थक नाच गाने के साथ उनका स्वागत करते थे. सिथक्का पर बरसाए गए फूल किसी कॉरपोरेट ने नहीं खरीदे थे बल्कि तेलंगाना के लोगों ने अपनी जेब से खरीदे थे. और ये बताता है कि तेलंगाना के लोग सिथक्का को कितना प्यार करते हैं. मुलूगू विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने वाली सिथक्का कांग्रेस की वफादार सिपाही रही हैं. 2018 के चुनाव के बाद जब कांग्रेस के ज्यादातर एमएलए केसीआर के साथ चले गए सिथक्का ने पार्टी के प्रति वफादारी दिखाई. केसीआर की ओर से दिए गए हर ऑफर को ठुकरा सिथक्का ने तेलंगाना में कांग्रेस के लिए लड़ना चुना. अपनी किताब के बहाने शर्मिष्ठा मुखर्जी ने जब राहुल गांधी पर निशाना साधा तब भी सिथक्का ने आवाज उठाई जबकि कांग्रेस के ज्यादातर नेता चुप्पी साधे रहे. 7 दिसंबर 2023 को जब हैदराबाद के लाल बहादुर स्टेडियम में सिथक्का मंत्री पद की शपथ लेने के लिए खड़ी हुई तो जनता की तालियों की गड़गड़ाहट ने उनके पीपुल्स लीडर होने की तस्दीक की. 54 साल के जीवन में सिथक्का ने अगर एक फैसले के बाद दूसरा फैसला नहीं लिया होता तो नक्सली कमांडर से कैबिनेट मिनिस्टर का ये सफर संभव नहीं होता. इसलिए एक फैसला गलत साबित होता है तो मन मारकर मत बैठिए... आगे बैठिए और वो करिए जो आप करना चाहते हैं...

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