पांच राज्यों के चुनाव में क्या 2 हजार रुपये के नोट का स्ट्रेटजिक इस्तेमाल हुआ?

क्या पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में 2000 रुपये के नोट का स्ट्रेटजिक इस्तेमाल हुआ है? आइए खबरों के जरिए ही समझते हैं. 19 मई 2023 को आरबीआई ने 2000 रुपये का नोट बंद करने का ऐलान किया. लेकिन कहा गया कि बाजार में मौजूद नोट लीगल टेंडर रहेंगे. आप एक्सचेंज कर सकते हैं. आरबीआई के ऐलान के बाद नोट एक्सचेंज करने के लिए फिर से लाइन लगी. आरबीआई ने बैंकों को 2000 रुपये के नोट जारी करने से मना किया. 2000 रुपये के नोटों को एक्सचेंज करने की पहली डेडलाइन 30 सितंबर 2023 थी, फिर इसे बढ़ाकर 7 अक्टूबर 2023 कर दिया गया. 1 दिसंबर 2023 को मिंट में छपी शिवांगी की रिपोर्ट को पढ़िए आपको पता चलेगा कि 30 नवंबर 2023 तक 97.26 प्रतिशत 2000 रुपये के नोट बैंकों में पहुंच गए हैं. लेकिन 2000 के नोट अभी भी मार्केट में घूम रहे हैं. जिनका मूल्य 9760 करोड़ रुपया है. लेकिन ये सिर्फ 2.74 फीसदी ही हैं. मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक ही आरबीआई ने कहा है कि 2000 रुपये के नोट लीगल टेंडर बने रहेंगे. मतलब वे रद्दी नहीं हुए हैं. मतलब आप के पास पड़ा नोट रद्दी नहीं है. अब आप सोचिए कि चुनावों से पहले 2000 रुपये के नोट को बैंकों में इकट्ठा कर लेना और जब 97.26 परसेंट नोट पैसा इकट्ठा हो गया तब भी उसे लीगल टेंडर बनाए रखना. उसे रद्दी ना करना. क्या बताता है. आप अनुमान और कयास लगाने के लिए स्वतंत्र हैं. वैसे झारखंड में जिस नेता के यहां से कैश मिला है, अगर वह 2000 रुपये के नोट के साथ कैश रखता तो क्या कैश की मात्रा उतनी ही होती, जितनी तस्वीरों में दिख रही है या कम होती.
दरअसल नोटबंदी को याद करिए जब राजनीतिक पार्टियों के पास चुनाव लड़ने के लिए पैसा ही नहीं बचा था. 2017 के यूपी चुनाव में तो नोटबंदी का साफ असर देखा गया. लेकिन कोई सवाल नहीं हुआ, जिन पार्टियों के पास कैश था वह किसी का नहीं था और बैंकों से करोड़ों रुपया निकालने की आजादी नहीं थी, तो क्या धीरज साहू के घर मिला कैश उनके बिजनेस का था, या यह पैसा चुनावों के लिए कैश में इकट्ठा किया गया था. इस सवाल का जवाब सिर्फ धीरज साहू ही दे सकते हैं, लेकिन झारखंड में हेमंत सोरेन की पार्टी ने तो कह दिया है कि पैसा तो बिजनेस मैन के घर ही मिलेगा. ऐसे में सवाल यही रह जाता है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए सारा चंदा अपनी जेब में डाल लेने वाला सत्ताधारी दल विपक्ष के लिए कितना स्पेस छोड़ना चाहता है. कांग्रेस के पास पैसे का संकट है और चंदा उसे मिल नहीं रहा है तो रास्ता बचता क्या है. और कर्नाटक के चुनाव परिणाम के बाद सत्ता दो हजार रुपये का नोट बंद कर दे तो समझ आता है कि कैश का खेल कितना बड़ा है. याद रखिए कि कर्नाटक चुनाव तक 2000 रुपये के नोट को बैकों से एक्सचेंज करने की गाइडलाइन आई नहीं थी, लेकिन जैसे ही कर्नाटक का परिणाम सत्ता के खिलाफ आया 2000 रुपये का नोट बैंकों में जमा कराने की गाइडलाइन आ गई... लेकिन 30 नवंबर तक बैंकों में 2 हजार रुपये का नोट 97 फीसदी से ज्यादा वापस आ गया है, लेकिन अभी भी ये रद्दी नहीं है... खेल बड़ा है. सत्ता विपक्ष को कुचलने के लिए साम दाम दंड भेद सब आजमा रही है... और फिर आप सवाल उठाते हैं कांग्रेस नेता के पास इतना पैसा कहां से आया... क्योंकि जांच एजेंसियों का छापे के बाद आई तस्वीरें सबके सामने होती हैं... सवाल सत्ता से नहीं विपक्ष से होने लगता है.

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