संदेश

समाजवाद का मुलायम ठुमका

​​कुछ ही समय पहले चारा घोटाले में जेल की सजा काटने के बाद लालू अपने घर पहुंचे तो उनके सम्मान में किस तरह के नृत्य संगीत का आयोजन हुआ। क्षेत्रीय जुबान में कहें तो यह "नाच" का प्रोग्राम था। लालू यादव के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम उतना भव्य नहीं था, जितना यूपी में सत्ताधारी दल समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के सैफई में आयोजित "नाच का कार्यक्रम" लेकिन दोनों कार्यक्रम नाच के ही थे। दरअसल, यूपी और बिहार में नाच का कार्यक्रम सामंती दबंगई का प्रतीक है।  बचपन के दिनों में जब गांव में किसी की बारात आती थीं, तो सबसे पहले हर पुरूष (चाहे युवा, अधेड़ हो या बुजुर्ग) यहीं पूछता था कि बाराती क्या लेकर आए हैं ? नाच, वीडियो या कुछ और.. अगर बाराती वीडियो लेकर आए तो गांव के लौंडे सबसे ज्यादा खुश होते। वजह ये होती कि उन्हें फिल्में देखने को मिलता। वहीं, अगर बाराती नाच लेकर आए होते तो अधेड़ और बुजुर्ग उम्र के मर्दों की खुशी का ठिकाना ना होता। बाराती पक्ष (वर पक्ष) की तारीफ में कसीदे पढ़े जाते। दरअसल, नाच का मतलब यहां कोठेवालियों से है। जिन्हें एक निश्चित संख्या में त

FRUSTATION

बाहर बहुत ठंड थी , चुभती हवा गलियों में सांय सांय करती हुई मंडरा रही थी , एहितयातन लोग अपने घरों के दरवाजे बंद कर रजाइयों में दुबके पड़े थे। ऑफिस से आने के बाद वो फर्श पर पड़े गद्दे पर पसर गया.. बैचलरों के कमरे में बेड का होना मुश्किल होता है.. ग्राउंड फ्लोर का फर्श भी बर्फ सा लग रहा था। उसे चाय की तलब लगी। वो किचन में घुस गया.. फर्स्ट फ्लोर पर हलचल हुई.. वो चाय बनाने में मशगूल था.. लगा कोई ऊपर के टॉयलेट में है.. मकान की बनावट कुछ ऐसे थी कि ऊपर कुछ भी हो नीचे पता चल ही जाता था.. चूड़ी , पायल की आवाजों से उसने अंदाजा लगा लिया कि रात के दो बजे ऊपर कौन जगा है.. चाय का कप लेकर वो अपने बिस्तर पर आया तो नींद आंखों से दूर थी.. वो सोने की कोशिश में पंखें को घूरने लगा.. लेकिन पंखे की तरह उसकी कल्पनाएं भी रुकी हुई थीं.. ऊपर फिर खटखट हुई और उन्हीं आवाजों के साथ वो अपनी फैंटेसी को कमरे की दीवारों के कैनवास पर उकेरने लगा...   22-01-2013

KHATO KI AAWAJAHI

मानवी दुनिया को सुरक्षित करने के बहाने जब प्रेम , खुशी और गम जताने वाले शब्द फिल्टर होने लगे तो सात समंदर पार से उसने आभासी दुनिया में सावर्जनिक रूप से प्रेम जताना छोड़ दिया , वो जानता था कि जासूसों की गिद्ध नजर से उसकी निजता बच नहीं पाएगी। उसने आभासी दुनिया से विदा ले ली .. और अपने महबूब के लिए खत लिखना शुरू किया .. इस तरह प्रेम में भीगे शब्दों को सहेजे खतों की आवाजाही बढ़ गई ... 22-01-2013

JULY KI EK RAT KE BAD

21वीं सदी की प्रेम कहानियों को उलट के यानि आखिर से पढ़ना शुरू करो, तुम पाओगे कि हर कहानी का अंत सुखद है। ........................................................................... वो लिखता कम, काटता ज्यादा है। ........................................................................... लड़का: तुमसे बात करने में कोई फायदा नहीं है शायद! लड़की: फायदा सोच के आए थे? बनिए हो गए हो? लड़का: चलें ? लड़की: इसी में फायदा लग रहा होगा? लड़का: ऎसा तो नहीं है! लड़की: जाने दो खैर, ऑय विल पे फॉर कॉफी, ये नुकसान मैं भुगत लूंगी, तुम इतने फायदे में रहो! (जुलाई की एक रात) ......................................................................... "एक दिन में पहचान तो नहीं बदल जाती, रिश्ते तो खत्म नहीं हो जाते" (जुलाई की एक रात "बीतने" के बाद यही याद रहा बस) .......................................................... ...आजकल की कहानियां करण जौहर की फिल्मों की तरह डिजायनर ज्यादा है, कथ्य के मामले बेहद कमजोर। ......................................................

AAP KA FLAVOUR

पहले 'आप' बिना फुटेज के जीना तो सीख लें.. फिर देखेंगे 'आप' का फ्लेवर 08-01-2014

Kejriwal giving sleepless nights to Narendra Modi

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"हां, हम चोर हैं और हमने कांग्रेस की नींद चुराई है" ये शब्द बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के है, जो अपनी रैलियों में कांग्रेस पार्टी की स्थिति बयान करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। हिंदी पट्टी के चार राज्यों में बीजेपी की सफलता और कांग्रेस की करारी हार का समीकरण मोदी के पक्ष में दिखता है। लेकिन इन्हीं चार राज्यों में से एक दिल्ली के परिणाम बीजेपी पर भारी पड़े है। आम आदमी पार्टी का उभार और केजरीवाल के जादुई नेतृत्व कौशल ने नरेन्द्र मोदी की नींद उड़ा दी है। जब यह तय हो चुका है कि "आप" दिल्ली में सरकार बनाएंगी, मंगलवार को बीजेपी चुनाव प्रचार समिति की बैठक होने जा रही है जिसमें लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान को नई गति देने और रणनीति बनाने पर चर्चा होगी। इसके साथ ही बीजेपी के मुख्यमंत्रियों की भी बैठक होने जा रही है.. "आप" के चमत्कारी उभार ने बीजेपी को मजबूर कर दिया है कि लोकसभा चुनाव के लिए वह अपने पेंच कस लें, अन्यथा आप को हल्के में ना लेना दिल्ली की तरह भारी पड़ जाएगा। बीजेपी को यहां दुरूस्त करने होगी अपनी रणनीति प

शिक्षक दिवसः तुम्हारी मां पागल है क्या..

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गांव का प्राइमरी स्कूल जिसे ढहा दिया गया था..नई इमारत बनाने के लिए..उसके मलबे पर कक्षाएं लगी हुई थी. पहली से लेकर 5वीं तक के बच्चे अपने बोरे बिछाकर (प्लास्टिक या जूट के बने हुए होते थे, जिसे बच्चे बैठने के लिए इस्तेमाल करते थे, सरकारी स्कूल में बच्चों को टाट भी मुनासिब नहीं था) बैठे या पसरे हुए थे..लकड़ी की बनी पटरियां कालिख में लिपटी थी..जिसे शीशे की दवात से रगड़कर चमकाया जा रहा था. ताकि दूधिया से लिखे गए शब्द मोती की तरह चमके..तीसरी क्लास में बैठा एक बच्चा अपने एक सहपाठी के साथ गुणा भाग करने में व्यस्त था..दोपहर की धूप में मास्टर जी (तब मास्टर जी लोगों की संख्या दो थी और दोनों मिलकर उस स्कूल को चलाते थे) अपनी कुर्सी पर बैठकर ऊंघ रहे थे..दिन ढल रहा था..कुछ बच्चे लड़ रहे थे..कुछ अपने बोरिए पर अधलेटे पड़े थे..कुछ चोर सिपाही खेलने में मशगूल थे..गुरु जी इन सबसे अनभिज्ञ थे..उन्हें इस बात का एहसास नहीं था कि उनके बच्चे क्या कर रहे है..तीसरी क्लास के उस बच्चे की मां सहसा मलबे पर लगी क्लास में पहुंचती है और अपने बच्चे को समझाने लगती है..क्लास में ऐसे में नहीं बैठते..बस्ता ऐसे रखते है..क्या