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हजरात, ये मनाली और शिमला नहीं, गुलाबी शहर है।

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इससे पहले कि आप कोई कयास लगाए। मैं स्पष्ट कर दूं कि ये तस्वीरें किसी स्वप्निले शहर की नहीं हैं। ना ही ये शिमला और मनाली है। पहाड़ों के साए से तीसरी निगाह में कैद इन तस्वीरों पर बादलों की छाया हैं। गुलाबी शहर जयपुर का मौसम इन दिनों बारिश और बादलों के कहकहे से गुलजार हैं।  अरब सागर के दरिया से उठा मानसून भादो के पखवाड़े में नाहरगढ़ की पहाडिय़ों पर बादलों के स्वरुप में आराम फरमा रहा हैं। लिहाजा पिछले दस दिनों से यहां रिमझिम बारिश का दौर जारी हैं। किले, इमारतें और पैलेस नहा धोकर मुस्कुरा रहे हैं अपने मेहमानों के स्वागत में, तो पहाडिय़ों ने हरियाली की हल्की चादर ओढ़ ली हैं। आपने सुना होगा, भादों की रात बड़ी डरावनी होती हैं? लेकिन मैं नहीं मानता, क्योंकि गुलाबी शहर में भादो के दिन और रात मौसम के गुलाबीपन में भीगे हुए हैं। आपने शरद, शिशिर और बसंत में भले ही गुलाबी शहर को आंखों भर निहारा हो। लेकिन वर्षा ऋतु में इसे देखना मादकता भरा हैं। जब आपकी आंखें पहाड़ों पर बैठे बादलों से टकरा जाए.... सभी फोटोः मनोज श्रेष्ठ

They Ask for Bread वे रोटी मांग रहे हैं

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इलाके के विकास के लिए सरकार ने दी है परमिशन जमीन की खुदाई के लिए जंगल को काटने जल को सुखाने के लिए ताकि विकास का पहिया तेजी से घूम सकें इलाके में विकास हो सुरसा के मुंह की तरह सरकार को लोगों की परवाह नहीं वे मर रहे है भूख से, गरीबी से सरकार की गोलियों से क्योंकि वे रोटी मांग रहे हैं चिल्लाते और चीखते हुए क्योंकि उनके पेट में आग लगी हैं सरकार, संसद में प्रस्ताव पास कर रही हैं दो रुपए किलो अनाज देंगे बारहों महीने, ताकि कोई भूखा ना सोए सरकार अपने कानों पर कनटोपा लगाए है अपने कारिंदों की चापलूसी सुनने के लिए उन्हें चीखते लोगों की आवाजें सुनाई नहीं देती। सरकार खुश है, भूखों के फटे कपड़े डिजायनर बनाने की बात करते है इलाके में शॉपिंग मॉल खोलने की घोषणा करते है उन्हें भूख दिखाई नहीं देती अनजानी बीमारियों से मर रहे लोगों की उन्हें परवाह नहीं, सैंकड़ों मासूम मर जाते है अपनी जननी की गोद में खामोश.. सरकार बेताब है फटे कपड़ों पर वादों के अस्तर लगाने को चीखती जुबानों पर ताले लगाने को हर गांव को बस्तर बनाने को नेता, सेना और शातिर गिद्धों की निगाह में सबसे बड

Controversy is Good for us: Gaurav Panjvani कंट्रोवर्सी होगी तो यार, अच्छा ही होगा

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कंट्रोवर्सी होगी तो यार, अच्छा ही होगा। फिल्म का प्रॉफिट बढ़ेगा। अमृतसर में हमें लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। लोगों ने कहा कि यह फिल्म हमारी भारतीय संस्कृति के खिलाफ हैं। सेकंड मैरिज डॉट कॉम फिल्म के निर्देशक गौरव पंजवानी खुलकर बोलते हैं। शनिवार को अपनी फिल्म के प्रमोशन कार्यक्रम के लिए वे जयपुर में थे। दैनिक भास्कर डॉट कॉम के साथ एक विशेष इंटरव्यू में गौरव ने कहा कि यह फिल्म दो पैरलर फैमिली पर बेस्ड हैं। जिसमें एक बेटा अपने पिता को और एक बेटी अपनी मां को दूसरी शादी की सलाह देते है। दोनों यंगस्टर्स मिलते है और पैरेंट्स की शादी आपस में करवाने को तैयार हो जाते हैं। लेकिन पैरेंट्स को मनाने के चक्कर में उनमें प्यार हो जाता हैं। मां पिता के एक होने पर दोनों यंगस्टर्स भाई बहन कहलाते हैं। लेकिन उनका प्यार भारतीय संस्कृति के आड़े आ जाता हैं। अमृतसर में लोगों ने इसी का विरोध किया। भारतीय संस्कृति की ऊंची दीवारों को लांघने की कोशिश करने वाले गौरव सेकंड मैरिज डॉट कॉम से पहले फेसपैक, एक्जाम फोबिया और कॉफी मेरी जान जैसी असरदार डॉक्यूमेंट्री फिल्मों से अच्छी खासी पहचान बटोर

रिपोर्टिंग का एक और मौका

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5 जुलाई को कवर की स्टोरी, अखबारी पन्नों पर बिना नाम के...

कैटवॉक कर रहे ब्वॉयज को चीयर किया गर्ल्स ने

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मैं क्या कहूं..खुद ही पढ़ लीजिए।

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Short Story: निकालो.. देख क्या रहे हो

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शाम का समय था। हल्की बरसात हुई थी, लेकिन अब भी आसमान में बादल घिरे हुए थे। वह उसे देखने की चाहत लिए अपने घर से निकला। उसे यकीन था वह अपने बगीचे में होगी। बेचैन सा वह तेज कदमों से चलने लगा, दो कदम चलने के बाद हल्की सी दौड़ लगा लेता। ताकि जल्दी पहुंचा जा सके। उसने दूर से ही देखा कि बगीचे के झुरमुट में कोई खड़ा हैं। वह तेजी से बढ़ता गया। उसे पता ही नहीं चला कि वह कब उस बगीचे के पास आ गया। जहां बेर के पेड़ लगे थे। वो बगीचे के इस कोने से उस कोने तक टहलती मचल रही थी। कभी इस पेड़ पर देखती, कभी उस डाल पर, उसने ठिगने से अमरुद की डाली को उछलकर पकड़ना चाहा कि पैरों में बेर का कांटा चुभ पड़ा। वह रो पड़ी..आह करते हुए..कांटा निकालने की जगह कांटे को देखकर रोती रही। वह बगीचे को घेरने के लिए लगे काटों के बाड़ के समीप खड़ा था। कांटा चुभने से वह बैठ गई थी। इसलिए वह बाड़ के घेरे पर ही खड़ा हो गया, उसने देखा तो कुछ नहीं बोला, आंसू पोंछने लगी। मूक सहमति पाकर वह उसके समीप गया। लेकिन उसके पैरों को छूने की हिम्मत ना कर सका। यूं ही देखता रहा। उसने मासूमियत से कहा, कांटा चुभ गया है..उसने दे