They Ask for Bread वे रोटी मांग रहे हैं

इलाके के विकास के लिए
सरकार ने दी है परमिशन
जमीन की खुदाई के लिए
जंगल को काटने
जल को सुखाने के लिए
ताकि विकास का पहिया तेजी से घूम सकें
इलाके में विकास हो
सुरसा के मुंह की तरह

सरकार को लोगों की परवाह नहीं
वे मर रहे है
भूख से, गरीबी से
सरकार की गोलियों से
क्योंकि वे रोटी मांग रहे हैं
चिल्लाते और चीखते हुए
क्योंकि उनके पेट में आग लगी हैं

सरकार, संसद में प्रस्ताव पास कर रही हैं
दो रुपए किलो अनाज देंगे
बारहों महीने, ताकि कोई भूखा ना सोए
सरकार अपने कानों पर कनटोपा लगाए है
अपने कारिंदों की चापलूसी सुनने के लिए
उन्हें चीखते लोगों की आवाजें सुनाई नहीं देती।

सरकार खुश है,
भूखों के फटे कपड़े
डिजायनर बनाने की बात करते है
इलाके में शॉपिंग मॉल खोलने की घोषणा करते है
उन्हें भूख दिखाई नहीं देती
अनजानी बीमारियों से मर रहे लोगों की
उन्हें परवाह नहीं, सैंकड़ों मासूम मर जाते है
अपनी जननी की गोद में
खामोश..

सरकार बेताब है
फटे कपड़ों पर वादों के अस्तर लगाने को
चीखती जुबानों पर ताले लगाने को
हर गांव को बस्तर बनाने को

नेता, सेना और शातिर गिद्धों की निगाह में
सबसे बड़े दुश्मन है
ये मासूम मानव
जो उनकी तरह नहीं है
शातिर गोरे और सभ्य
बल्कि काले और असभ्य है
जिनकी गिनती कुछ सौ है
इन्हें खत्म किया जा सकता है
इलाके के विकास के लिए
सरकार की कुर्सी के लिए
तेजी से भागती जीडीपी के लिए
सभ्य लुटेरों के लिए..

12-08-2012

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