संदेश

Movie लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Dangal Movie; एक बेटी का अपने नेशनल चैंपियन पहलवान बाप को पटक देना

चित्र
आमिर खान की फिल्म दंगल फोगट बहनों के संघर्ष और सफलता की कहानी से ज्यादा महावीर फोगट के अंतर्द्वंद की कहानी है , जो एक पिता , कोच और खिलाड़ी के रूप में अपनी इच्छाओं , असफलताओं , कामयाबी और सपने को पूरा करने के लिए स्वयं से ही लड़ रहा है। इंटरवल के बाद का वो दृश्य मस्तिष्क में घूम रहा है , जब गीता एनएसए से लौटती है और अपने पिता के अखाड़े में अपनी बहन को दांव पेंच समझा रही होती है। उसे नहीं पता होता है कि फोगट उसे दूर से देख रहे हैं वो तपाक से आते हैं और कहते हैं कि मैं भी तो जरा तुम्हारे दांव देखूं..   यहां बाप और बेटी के बीच मल्लयुद्ध होता है। यहां एक कोच अपने ही प्लेयर को गलत साबित करना चाह रहा है , जिसे उसने बड़ी लगन से तराशा है , उसे इस बात का दुख है कि कुछ महीने दूसरे से दांव पेंच सीखने वाली शिष्या स्वयं को उसके सामने बेहतर कह रही है और उसके दांव को कमजोर बता रही है। यहां आमिर का कैरेक्टर एक कोच के रूप में अपनी श्रेष्ठता के लिए लड़ता है , लेकिन गीता से पटखनी खाने के बाद जमीन से कोच के साथ एक हारा हुआ बाप भी उठता है। उसके अहं को चोट पहुंचती है और अपनी बेटी के साथ उसकी बातचीत

FIRE IN BABYLON

चित्र
फिल्मः फायर इन बेबीलोन (70 के दशक में अपराजेय रही वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम पर आधारित ) निर्देशकः स्टीवन रिले 1990 के बाद पैदा हुए क्रिकेटप्रेमियों के लिए यह कैरेबियन सागर में उठने वाली खौफनाक लहरों की तरह होती, जो पलक झपकते ही उनके पसंदीदा बल्लेबाज की गिल्लियां बिखेर देती। विकेट अपनी लंबाई से तीन चार गुने दूर छिटके नजर आते। 22 गज की पट्टी के एक छोर से रॉबर्ट्स और होल्डिंग को दौड़ते देख किसी भी बल्लेबाज के रोंगटे खड़े हो जाते, जब दोनों कैरेबियाई गेंदबाजों के दिल में किसी गोरे बल्लेबाज का नस्लीय कमेन्ट चुभ रहा हो। फायर इन बेबीलोन हमें एक ऐसे समय में ले जाती है। जब क्रिकेट सिर्फ क्रिकेट नहीं था। यह वह दौर था जब तेज गेंदबाजी किसी कप्तान की सबसे बड़ी महत्वाकांक्षा होती थी और क्रिकेट का मतलब रन बटोरने और विकेट लेने से कहीं ज्यादा था। फायर इन बेबीलोन 70 के दशक में अपराजेय रही वेस्टइंडीज टीम के सुनहरे दौर की गाथा है। ये वही समय था जब अधिकांश टीमों के पास तेज गेंदबाजों की फौज हुआ करती थी। भद्रजनों का यह खेल पहचान की लड़ाई बन चुका था और नस्लीय कमेन्ट अपनी गहरी पैठ बना चुके थे। एक ब