गुलाबी शहर का रंग इस भादो में मटमैला हो गया। सावन में फुहारों का इंतजार कर रहे इस शहर को बादलों ने खूब भिगोया। शहर की तस्वीर कुछ मटमैली हो गई। पहाड़ अपनी जगह से खिसककर समतल धरातल पर बिछ गए तो निचले इलाकों को मौसमी लहरों ने खूब हिलोरा। सीवर जाम हो गए, नालियां उफनने लगी और कचरा सड़कों पर बिखर गया। सीएम साहब सहित सभी ने माना, शहर में अतिवृष्टि हुई हैं। लेकिन जंगल में मोर नाचा, किसने देखा की तर्ज पर, रामगढ़ में बारिश हुई किसने देखा? रामगढ़ और जमवारामगढ़ में रहने वालों को यह कहावत ज्यादा समझ में आई। पूरा शहर बरसात में डूबा नजर आया, लेकिन रामगढ़ बांध में पानी नहीं पहुंचा। अमानीशाह नाला (कहते है पहले यहां द्रव्यवती नदी बहती थी) सूखा रहा। बारिश ने शहर का रंग बदला, लोग बेघर हुए, राहत शिविर खुले और सरकार के मुखिया के हुक्मरान का दौरा भी हुआ। सरकार की व्यस्तता बढ़ी, बारिश से उजड़े लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए। बारिश के पानी में उखड़ी सड़क रातों रात बिछ गई, सरकार की खूब वाहवाही हुई किसी के चेहरे पर दर्द नजर नहीं आया। रात बीती भी नहीं थी, सड़क अपनी औकात पर आ गई, राहत शिविर का भी यहीं...