संदेश

हिंदी पखवाडा

चित्र
लो भाइयो,आ गया हिंदी पखवाडा (1sep से 15sep ) तक ,लेकिन समझ में नहीं आता क़ि जब सारे उच्च वर्ग के लोग अंग्रेजियत के पल्लू से चिपके हों तो कितनी प्रासंगिकता रह जाती है इन आयोजनों की,क्या आप मुझे बतायेगे की ये पखवाड़ा हिंदी को श्रदांजलि देने लिए आयोजित किया  जाता  है या जन्म दिवस मनाने के लिए... इस समय  अगर आप दिल्ली के किसी इलाके  में सरकारी कार्यालयों के बगल से गुजरते होगे तो इस पखवाड़े को मनाने के लिए सरकारी अनुरोध लटका हुआ दिख जायेगा .पता नहीं कितने लोग इसका पालन करते होंगे,लेकिन एक बात तो तय है की हममें  से हर कोई अपनी मातृभाषा को उसका सम्मान  देने में असमर्थ है, चाहे वो इस देश का पीएम हों या प्रेसिडेंट , इस देश के नेतागण जब भी किसी को संबोधित करते है तो अधिकतर अंग्रेजी में ही करते है मानो उन्हें हिंदी...

मेरे कारनामों में तुम खुबसूरत हो

चित्र
मेरे कारनामों में तुम खुबसूरत हो नए ज़माने की मिसाल हो सांचे में ढली मूरत हो, कोई करे कल्पना हुस्न क़ि तो वो बस तुम हो , किसी क़ि यादों में बसने वाली नाजनीन तुम हो एक युवा के सपनों में आने वाली हसीं तुम हो गुलशन में खिलने वाली हर कली, सिर्फ तुम हो फिजां में बिखरने वाली महक भी तुम हो ये क्या है, हर नाचीज़ तुम हो, तुम हो तो रंगत है, रंगत क़ि जरूरत हर मौसम को है हर हुस्न को है, ये हर नौजवान क़ि जरूरत है जीवन का चरम भी तुम हो, उम्र का शिखर भी तुम हो प्यार का मौसम भी तुम हो, तुम तो बस जवान हों, बुढ़ापे क़ि जलन हो बुढ़ापे से पहले, तुम मेरी जवानी हो. आमीन.

जीना, कमाल है

चित्र
चारों तरफ मुश्किल हालात है  मरकर भी जीना कमाल है, ना रहे दुनिया में तो क्या गम है  यारों  के दिल में जिन्दा रहना क्या कम है, हमने तो यही चाहा, जिन्दा भी रहे तो ,याद रहे यादों में मेरा नाम रहे, मरकर भी जिन्दा नाम रहे, कोई शिकवा खुदा से करे, दुआ हमे भी मिले चाहे जीने के लिए  जिन्दगी और उम्र ना रहे, किसी की दुआओं का असर तो होगा खुदा कभी तो मेहरबान होगा, एक पल अपने साथ होगा जीने के लिए किसी का आशीर्वाद तो होगा...  धन्यवाद .......

और वो बच्चा ......

चित्र
१२ अगस्त का दिन,कक्षाये ख़त्म हो चुकी थी....शाम के लगभग सात बजने वाले थे, मै और मेरा दोस्त अमित कैम्पस से निकलकर पैदल ही बेर सराय पहुंचे..रास्ते में ही हम कुछ खाने के बारे में बात कर रहे थे.. सोचा था हमने क़ि  बेर सराय पहुंचकर कुछ खाया जायेगा ..बेर सराय पहुँचने के बाद हम  दोनों में मोमोज खाने पर सहमती बनी...और फिर हम दोनों मोमोज स्टाल पर पहुंचे.....मोमोज वाले से हमने हाफ  प्लेट मोमोज देने को कहा ,हाफ प्लेट लेने के बाद ज्यो हीं,हमने एक टुकड़ा मुंह में रखा ...एक बच्चा दौड़ता हुआ आया और अपने हाथ उसने हमारी तरफ बढ़ा दिए ..इस उम्मीद में क़ि कुछ मिल जायेगा लेकिन ...हम दोनों ने उसकी तरफ ना तो देखा और ना उसे कुछ दे सके और ना ही कुछ कह सके, क्यों क़ि लालच ने हमे...

रेडियो: एक दौर यह भी

चित्र
आज के दौर में रेडियो क़ि बात करना थोड़ा बासी लगता है, जब लोग टेलीविजन और इन्टरनेट के दीवाने हो,शहरों में गुर्राते एफएम चैनलों के रहते कौन पारंपरिक रेडियो सुनता है,शहरी मध्य वर्ग क़ि लालसा को पूरा करने में कामयाब सरकार भले ही फील गुड करती हो, लेकिन आज भी इस देश का एक वर्ग ऐसा है जिसके पास मुलभुत सुविधाओं क़ि कमी है, जहाँ साक्षरता का प्रतिशत बहुत कम है तो गरीबी का ग्राफ सरकार के दावों के बावजूद कम नहीं होता, लोगो के मनोरंजन के साधनों क़ि बात करना बेमानी लगता है, ज्यादा दिन नहीं हुए मुझे देल्ही आये, मुझे याद है जब लोग सुबह सुबह हाथों में रेडियो लिए अपने खेतों के लिए निकलते थे, हाथों में फावड़ें और खेतीं के उपकरणों के साथ, लेकिन बगल में कंधे से लटकता रेडियो अपनी ही धुन में गुनगुनाता रहता था...... मैंने राम लखन धन पायो........ खाटी हिन्दुस्तानी और रेडियो का ये साथ बहुत सुहाना लगता था, आल इंडिया रेडियो और विविध भारती के कार्यक्रम दिन भर सुने जाते है, अमिन सयानी क़ि आवाज़ हर बच्चा पहचानता था,शाम को हर घर के बाहर झुंडों में लोग बैठ के बीबीसी और एआईआर पर न्यूज़ सुना करते है, खेतों में बजते रेड...

सच झूठ

चित्र
             कुछ सच झूठ  भी हो                     ऐसा मुमकिन भी हो               मजाक नहीं ,ये किसी  का सुरूर है                      दूर रहकर भी जो करीब है                जिन्दगी,संवरने लगती है जब                      मुश्किल होते ,हालत भी तब              जब सांसे बढ़ जाती है ,सब्र के आगे     ...

चंद गिन्नियों के लिए

चित्र
                                                          इस अनूठे दोस्त क़ि कहानी है                                                                        हर रोज़ क़ि,                                ...