मेरे कारनामों में तुम खुबसूरत हो

मेरे कारनामों में तुम खुबसूरत हो
नए ज़माने की मिसाल हो
सांचे में ढली मूरत हो,

कोई करे कल्पना हुस्न क़ि
तो वो बस तुम हो ,
किसी क़ि यादों में बसने वाली नाजनीन तुम हो
एक युवा के सपनों में आने वाली हसीं तुम हो
गुलशन में खिलने वाली हर कली, सिर्फ तुम हो
फिजां में बिखरने वाली महक भी तुम हो

ये क्या है, हर नाचीज़ तुम हो,
तुम हो तो रंगत है,
रंगत क़ि जरूरत हर मौसम को है
हर हुस्न को है, ये हर नौजवान क़ि जरूरत है
जीवन का चरम भी तुम हो, उम्र का शिखर भी तुम हो

प्यार का मौसम भी तुम हो,
तुम तो बस जवान हों, बुढ़ापे क़ि जलन हो
बुढ़ापे से पहले, तुम मेरी जवानी हो.

आमीन.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"एक हथौड़े वाला घर में और हुआ "

FIRE IN BABYLON

बुक रिव्यू: मुर्गीखाने में रुदन को ढांपने खातिर गीत गाती कठपुतलियां