Intestinal Tuberculosis Wali Kahaniya

1.

उसने सवाल किया, कहां हो। मैं- फलाना वाली गली के तिराहे पर जो हैंडपंप है वहां। उसने पूछा- मिलना नहीं है। मैं- क्यों नहीं, बताओ कब मिलना है? उसने कहा- वहीं रुको। मैं आ रही हूं। दो मिनट के अंदर वो आ गई। मैं वहीं बुत बना  रहा.. मन की तितलियां बोलीं.. आगे बढ़ो। मैं उसकी ओर आगे बढ़ा और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए। उसने हड़बड़ाकर कहा, आज मेरा व्रत है। मेरे मुंह से सहसा निकल पड़ा। हाय अल्लाह.. चढ़ती रात में अधूरे चुंबन के साथ अधूरे रह गए हम

2.
... और अब जबकि मैं उस दुनिया का हिस्सा नहीं हूं। रात को सपने में कोई सीनियर डांट रहा था (जिसका चेहरा मुझे याद नहीं) कि फेसबुक की ट्रेंड लिस्ट चेक नहीं करते तुम लोग.. वहां कई सारी स्टोरीज पड़ी हैं। मैं अधखुली निद्रा में कहना भूल गया कि सर, मैंने आपकी दुनिया से अपना नाम कटा लिया है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"एक हथौड़े वाला घर में और हुआ "

Vande Bharat Express : A Journey to Varanasi

बुक रिव्यू: मुर्गीखाने में रुदन को ढांपने खातिर गीत गाती कठपुतलियां