मैं तुम्हें भूलना चाहता हूँ
हाँ, मैं तुम्हें भूलना चाहता हूँ
तुम्हारी स्मृतियों को झटक देना चाहता हूँ
बिना बताये तुम्हें
अब तुम्हें मेरी परवाह कहां
लेकिन मैं तुम्हें ही याद कर जिन्दा हूँ
तुम्हें याद न करूँ तो साँस लेना मुश्किल हो जाये
और इन सब बातों का तुम्हे इल्म कहां
मैं नहीं जानता
मुझे चाहने और अपने प्रेम पाश में बांधने के पीछे
तुम्हारा कौन सा स्वार्थ था
लेकिन उस प्रेम की ज्योत का क्या
जो तूमने मुझे सिखाया
क्या तुमने सिर्फ मेरे सीने में प्रेम जगाया था
और खुद को दुनियादारी के परदे में छुपा लिया
जैसे तुम्हे प्रेम की जरुरत ही न हो
देखो मेरे अंदर अब बहुत कुछ धधक रहा है
जो लावा बनकर फूटने को है
मैं तुम्हारे प्रेम के बिना मर रहा हूँ
तुम्हारी बातों के सिवा संगीत कहीं नहीं है
तुम्हारा पल्लू ही शीतलता दे सकता है मुझे
तुम्हारे नरम स्पर्श ही जगा सकते है मुझे
ये सब तुम्हे पता है
और मुझे महसूस हो रहा है
कि तुम्हारे अंदर मेरे लिए प्रेम बचा ही नहीं है
मैं उजाड़ रेगिस्तान में शीतल जल ढूंढ़ रहा हूँ
मैं प्यासा
तन्हा
व्याकुल हूँ
थक चूका हूँ
तुम्हारे प्रेम को पाने की उम्मीद
मेरी आँखों में क्षीण हो रही है
बेचैन आत्मा
पानी के लिए
निहत्थे हाथों से रेत खोदती है
और रोती हुई आँखें
सूख के पथरा जाती है
मैं तड़फड़ा रहा हूँ
तुम्हारे प्रेम के बिना
इससे पहले कि
मेरी सांसे थम जाये
मुझे अपनी बाँहों में भर लो
कलेजे से लगा लो
प्रिये
....
21.04.2016
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