तुम रात भर जागते क्यों रहे..?
रात के घने कोहरे में
जब तुमने मुझे कलेजे से
चिपटाया था
इसी पल हृदय में जमी बर्फ
पिघली
और मैंने तुम्हारे हाथों
को चूम लिया
एक बार
दो बार
पूरे तीन बार
..…..
तुमने मुझे
दाब लिया
कलेजे में
वो सबसे ज्यादा गर्माहट
भरे पल थे
मेरे जीवन का
लेकिन...
मेरी प्यास अधूरी थी
आँखों से नींद गायब थी
हृदय प्यासा था
तुम्हारे सीने से लगने को
.....
मैं तरसता रह गया
प्यासा
खुली आँखों से अँधेरे में
चिराग ढूंढ़ता रहा
करवट बदलता रहा
.........
हजारों घड़ियाँ बीतने के
बाद
तुम्हारा चेहरा मेरे सामने
था
और मैं अविकल
तुम्हारे माथे को चूम बैठा
फिर दोनों पलकों पर
अपने होंठ रख दिए
एक प्यासे के लिए
प्रिय के प्रति प्यार
जताने का
ये अनमोल जरिया है
किसी ने कहा है
माथे को चूमना
आत्मा को चूमने जैसा है
तुम्हारे माथे को चूमकर
मैंने अपने रिश्ते को
आत्मा से जोड़ दिया है
और उसी क्षण
जब तुमने कहा...
पागल...
मैं भावविभोर हो बैठा
आधी रात को
न अच्छा लगा, बुरा न लगा
फिर भी
गर्माहट से भरा सुख मिला
और मैं पूरी रात जागता रहा
एक सुख को पाकर
और उसी भोर में
तुम्हारे सवाल मुझे अटपटे
लगे
कि
तुम रात भर जागते
क्यों रहे..?
29.01.2016
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें