केदारनाथ अग्रवाल की कविता एक हथौड़े वाला घर में और हुआ! हाथी-सा बलवान, जहाजी हाथों वाला और हुआ! सूरज-सा इंसान तरेरी आँखों वाला और हुआ! एक हथौड़े वाला घर में और हुआ! माता रही विचार, अंधेरा हरने वाला और हुआ!! दादा रहे निहार, सबेरा करने वाला और हुआ।। एक हथौड़े वाला घर में और हुआ! जनता रही पुकार सलामत लाने वाला और हुआ सुन ले री सरकार कयामत ढाने वाला और हुआ!! एक हथौड़े वाला घर में और हुआ!
फिल्मः फायर इन बेबीलोन (70 के दशक में अपराजेय रही वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम पर आधारित ) निर्देशकः स्टीवन रिले 1990 के बाद पैदा हुए क्रिकेटप्रेमियों के लिए यह कैरेबियन सागर में उठने वाली खौफनाक लहरों की तरह होती, जो पलक झपकते ही उनके पसंदीदा बल्लेबाज की गिल्लियां बिखेर देती। विकेट अपनी लंबाई से तीन चार गुने दूर छिटके नजर आते। 22 गज की पट्टी के एक छोर से रॉबर्ट्स और होल्डिंग को दौड़ते देख किसी भी बल्लेबाज के रोंगटे खड़े हो जाते, जब दोनों कैरेबियाई गेंदबाजों के दिल में किसी गोरे बल्लेबाज का नस्लीय कमेन्ट चुभ रहा हो। फायर इन बेबीलोन हमें एक ऐसे समय में ले जाती है। जब क्रिकेट सिर्फ क्रिकेट नहीं था। यह वह दौर था जब तेज गेंदबाजी किसी कप्तान की सबसे बड़ी महत्वाकांक्षा होती थी और क्रिकेट का मतलब रन बटोरने और विकेट लेने से कहीं ज्यादा था। फायर इन बेबीलोन 70 के दशक में अपराजेय रही वेस्टइंडीज टीम के सुनहरे दौर की गाथा है। ये वही समय था जब अधिकांश टीमों के पास तेज गेंदबाजों की फौज हुआ करती थी। भद्रजनों का यह खेल पहचान की लड़ाई बन चुका था और नस्लीय कमेन्ट अपनी गहरी पैठ बना चुके थे। एक ब...
Courtesy_Vani prakashan मुकुटधारी चूहा.. वाणी प्रकाशन से प्रकाशित राकेश तिवारी का कहानी संग्रह है. सात कहानियों के इस संग्रह में कुछ बेहद रोचक कहानियां है. इन कहानियों के अनेक रूप है जो कड़े सवाल करती है. 'अंधेरी दुनिया के उजले कमरे में' रहने वाले 'मुकुटधारी चूहों' की हकीकत बयां करती ये कहानियां बताती है कि 'मुर्गीखाने' में नाचती 'कठपुतली' भी आखिर में थक जाती है. अपराधबोध जब हावी होता है, तो एक किशोर भी 'साइलेंट मोड' में चला जाता है. किताब में कहीं भी राकेश तिवारी के बारे में जानकारी नहीं दी गई है. लेकिन इन कहानियों को पढ़ते हुए लगता है कि ये उत्तर भारत से ताल्लुक रखती है और यहां बसे समाज की खिड़कियों पर चढ़ी काली फिल्में नोंच डालती है ताकि सड़ांध का पता सबको लग सके और फड़कती मूंछों का कोलतार उतर सके. तिवारी के इस संकलन की वैसे तो सभी कहानियों रोचक और पढ़ने लायक है लेकिन 'मुकुटधारी चूहा' और 'मुर्गीखाने की औरतें' जरूर पढ़ी जानी चाहिए. सभी कहानियों में तो नहीं लेकिन कुछ में आंचलिकता का पुट है, लेकिन दर्शन सबमें उपस्थित है. ...
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