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जनवरी, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

A TRIP TO SAMBHAR LAKE RAJASTHAN

चित्र
कमरे से निकल कर सांभर के नमक वाले तालाब तक.. कुछ तस्वीरें..

समाजवाद का मुलायम ठुमका

​​कुछ ही समय पहले चारा घोटाले में जेल की सजा काटने के बाद लालू अपने घर पहुंचे तो उनके सम्मान में किस तरह के नृत्य संगीत का आयोजन हुआ। क्षेत्रीय जुबान में कहें तो यह "नाच" का प्रोग्राम था। लालू यादव के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम उतना भव्य नहीं था, जितना यूपी में सत्ताधारी दल समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के सैफई में आयोजित "नाच का कार्यक्रम" लेकिन दोनों कार्यक्रम नाच के ही थे। दरअसल, यूपी और बिहार में नाच का कार्यक्रम सामंती दबंगई का प्रतीक है।  बचपन के दिनों में जब गांव में किसी की बारात आती थीं, तो सबसे पहले हर पुरूष (चाहे युवा, अधेड़ हो या बुजुर्ग) यहीं पूछता था कि बाराती क्या लेकर आए हैं ? नाच, वीडियो या कुछ और.. अगर बाराती वीडियो लेकर आए तो गांव के लौंडे सबसे ज्यादा खुश होते। वजह ये होती कि उन्हें फिल्में देखने को मिलता। वहीं, अगर बाराती नाच लेकर आए होते तो अधेड़ और बुजुर्ग उम्र के मर्दों की खुशी का ठिकाना ना होता। बाराती पक्ष (वर पक्ष) की तारीफ में कसीदे पढ़े जाते। दरअसल, नाच का मतलब यहां कोठेवालियों से है। जिन्हें एक निश्चित संख्या में त...

FRUSTATION

बाहर बहुत ठंड थी , चुभती हवा गलियों में सांय सांय करती हुई मंडरा रही थी , एहितयातन लोग अपने घरों के दरवाजे बंद कर रजाइयों में दुबके पड़े थे। ऑफिस से आने के बाद वो फर्श पर पड़े गद्दे पर पसर गया.. बैचलरों के कमरे में बेड का होना मुश्किल होता है.. ग्राउंड फ्लोर का फर्श भी बर्फ सा लग रहा था। उसे चाय की तलब लगी। वो किचन में घुस गया.. फर्स्ट फ्लोर पर हलचल हुई.. वो चाय बनाने में मशगूल था.. लगा कोई ऊपर के टॉयलेट में है.. मकान की बनावट कुछ ऐसे थी कि ऊपर कुछ भी हो नीचे पता चल ही जाता था.. चूड़ी , पायल की आवाजों से उसने अंदाजा लगा लिया कि रात के दो बजे ऊपर कौन जगा है.. चाय का कप लेकर वो अपने बिस्तर पर आया तो नींद आंखों से दूर थी.. वो सोने की कोशिश में पंखें को घूरने लगा.. लेकिन पंखे की तरह उसकी कल्पनाएं भी रुकी हुई थीं.. ऊपर फिर खटखट हुई और उन्हीं आवाजों के साथ वो अपनी फैंटेसी को कमरे की दीवारों के कैनवास पर उकेरने लगा...   22-01-2013

KHATO KI AAWAJAHI

मानवी दुनिया को सुरक्षित करने के बहाने जब प्रेम , खुशी और गम जताने वाले शब्द फिल्टर होने लगे तो सात समंदर पार से उसने आभासी दुनिया में सावर्जनिक रूप से प्रेम जताना छोड़ दिया , वो जानता था कि जासूसों की गिद्ध नजर से उसकी निजता बच नहीं पाएगी। उसने आभासी दुनिया से विदा ले ली .. और अपने महबूब के लिए खत लिखना शुरू किया .. इस तरह प्रेम में भीगे शब्दों को सहेजे खतों की आवाजाही बढ़ गई ... 22-01-2013

JULY KI EK RAT KE BAD

21वीं सदी की प्रेम कहानियों को उलट के यानि आखिर से पढ़ना शुरू करो, तुम पाओगे कि हर कहानी का अंत सुखद है। ........................................................................... वो लिखता कम, काटता ज्यादा है। ........................................................................... लड़का: तुमसे बात करने में कोई फायदा नहीं है शायद! लड़की: फायदा सोच के आए थे? बनिए हो गए हो? लड़का: चलें ? लड़की: इसी में फायदा लग रहा होगा? लड़का: ऎसा तो नहीं है! लड़की: जाने दो खैर, ऑय विल पे फॉर कॉफी, ये नुकसान मैं भुगत लूंगी, तुम इतने फायदे में रहो! (जुलाई की एक रात) ......................................................................... "एक दिन में पहचान तो नहीं बदल जाती, रिश्ते तो खत्म नहीं हो जाते" (जुलाई की एक रात "बीतने" के बाद यही याद रहा बस) .......................................................... ...आजकल की कहानियां करण जौहर की फिल्मों की तरह डिजायनर ज्यादा है, कथ्य के मामले बेहद कमजोर। .........................................................

AAP KA FLAVOUR

पहले 'आप' बिना फुटेज के जीना तो सीख लें.. फिर देखेंगे 'आप' का फ्लेवर 08-01-2014