SHORT STORY: मेरी दुनिया की औरतें..
गांव में बाढ़ आई थी..एक ही नाव पर..गोइठा, बकरी के बच्चे..दही बेचने वालियों के दौरे..हिंदू-मुस्लिम, औरत-मर्द सब एक साथ..सुबह का वक्त था..हवा तेज थी..डेंगी नाव पर उछल रहा बकरी का बच्चा बाढ़ के गहरे पानी में गिर गया..हाय राम, हाय अल्ला..सब एक दूसरे का मुंह देख रहे थे..अचानक वो अपने कपड़े खोलकर फेंकने लगी..बोली, मैं उसे मरने नहीं दूंगी और बिना कुछ सोचे कूद गई..सब अवाक थे..मैंने कहा, ऐसी हैं मेरी दुनिया की औरतें..
02-07-2013
02-07-2013
गहन भावभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंमैं नहीं जानता कि कितने लोग कुछ पढ़ने के बहाने इस दियारे में भटकने के लिए आते होंगे(हालांकि गूगल वाले कुछ आकड़े दिखाते रहते है)..लेकिन आप अपने कदमों के निशान छोड़ जाती है..अच्छा लगता है..कि मेरे लिखे पर कोई कुछ कह रहा है. शुक्रिया पल्लवी जी..
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