चाय का एक कप

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हर सुबह तुम्हें अपने हाथों की चाय पिलाना और बगल वाली खाली कुर्सी पर तुम्हारा इंतजार करना छूट गया है. और सुबह सुबह तुम्हारे भीगे बालों से टपकती उन बूंदों के बहाने तुम्हें छूना भी..

उबासियों के साथ महसूस करता हूं कि ढेर सारे लोगों से बेहतर चाय बनाने का नुस्खा मेरे पास है. और ये भी कि मैं खाना बनाने की बेस्टसेलर किताबें लिख सकता हूं.

हमारे दरम्यान हजारों किलोमीटर की दूरी पनप आई है और इस दौरान मैंने हजारों कप चाय पी होगी. लेकिन उस स्वाद और मजे का अनुभव ना हुआ. जो तुम्हारे साथ बैठकर पीने में आता था.

यहीं कमी चाय का एक कप बनाने के लिए मुझे बेचैन कर रही है. बिना तुम्हारे किचन के. लेकिन क्या वाकई मैं चाय के एक कप के लिए बेचैन हूं या तुम्हारे साथ मिलने वाले उस स्वाद और आनंद के लिए..

12.06.2013

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