SHORT STORY: जो था..मधुमास था.
अगली सुबह जब वह अपने पुराने कुर्ते में बटन टांक रहा था. दरवाजे पर दस्तक हुई..उसने आवाज दी..खुला है..और जब वह आई तो आती गई..बटन, धागे और सुई एक दूसरे के सहारे उलझे थे. उसने करीने से सुई थामा और बटन टांकने लगी..वो देखता रहा..हवा में घुल रहे प्रेम में डूबता रहा. उसके हाथ उतावले थे अपनी प्रेयसी के चेहरे को थामने के लिए..लेकिन उसने अपनी अंगुलियों को झिड़क दिया..और जब प्रेयसी ने धागे को तोड़ने के लिए कैंची मांगने के बजाय..धागे को ही अपने होंठो तक ले गई...तो उसके सीने में एक चुभन सी उठी और फिर क्या..जो था..मधुमास था.
26.04.2013
26.04.2013
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