SHORT STORY (लघु कथा) मां की दुआओं में असर होता है.
गलियों, छज्जों और खिड़कियों की खाक छानने के बाद भी अमूमन दिन में एकाध बार ही उसके दर्शन हो पाते,
उस दिन वह अपनी मां के साथ आयी, कुएं की देहरी पर मैं उसकी राह देख रहा था। पूजा करने के बाद प्रसाद देने के बहाने वह मेरे पास आई..मैंने पूछा, क्या मांगा, बोली, तुम्हारी सलामती और साथ। तुम्हारी मां ने क्या मांगा, घर, वर और हजारों खुशियां..उसने प्रसाद देने के लिए हाथ बढ़ाते हुए कानों में कहा, मेरी शादी की बात चल रही है..मेरी आंखे उसके चेहरे पर ठहर गई..अंगुलियां, उसकी अंगुलियों से उलझ गई...मैं उसे खोने के डर में डूबता चला गया..दूर कहीं अंतर्मन में गूंज रहा था। मां की दुआओं में असर होता है...
उस दिन वह अपनी मां के साथ आयी, कुएं की देहरी पर मैं उसकी राह देख रहा था। पूजा करने के बाद प्रसाद देने के बहाने वह मेरे पास आई..मैंने पूछा, क्या मांगा, बोली, तुम्हारी सलामती और साथ। तुम्हारी मां ने क्या मांगा, घर, वर और हजारों खुशियां..उसने प्रसाद देने के लिए हाथ बढ़ाते हुए कानों में कहा, मेरी शादी की बात चल रही है..मेरी आंखे उसके चेहरे पर ठहर गई..अंगुलियां, उसकी अंगुलियों से उलझ गई...मैं उसे खोने के डर में डूबता चला गया..दूर कहीं अंतर्मन में गूंज रहा था। मां की दुआओं में असर होता है...
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