तुम्हारी उपस्थिति बनी रही..
हमारे प्रेम को
अभिव्यक्त करने के लिए
मेरी कविताओं का
कविता होना
या पेंटिंग्स का
पेंटिंग्स होना
कितना जरुरी है?
तुम्हें मालूम है क्या
या अनजान बनती हो
सबकुछ बतिया कर भी
तटस्थ भाव से
मैं क्या कहूं
कैसे परिभाषित करूं
कि तुम्हारी असहमतियों के बावजूद
मैंने एक नापाक हरकत की है
अपने दिलो दिमाग में
तुम्हारी एक तस्वीर बनाई है
यह तुम्हारी तरह दिखती है
इसलिए पलकों के बंद दरवाजे में छुपा रखा है
सपनों के गलियारे में इसकी पेंटिंग लगा रखी है
हर रोज आधी रात को
तुम्हारे कैनवास के साए में
इंतजार करता हूं कि
इंतजार करता हूं कि
तुम आओगी
मेरी अंगुलियां चटकाने
और हथेलियों को थामने
जो थकती नहीं है
तुम्हारे बालों को संवारते
रंगों से तुम्हारा श्रृंगार करते
सोचता हूं
चांद की चोरी-चोरी
कभी तो तुम आओगी
सपनों के गलियारे में
पलकों के बंद किवाड़ खोलकर
मेरी बनाई पेंटिंग्स निहारने..
उस दिन, तुमसे नजरें मिलाऊंगा
तुम्हारे रेशमी बालों में
अपने हाथों से रंग लगाऊंगा
और तुम्हें अपने हाथों से
आहिस्ता
अपने सिरहाने बिठाऊंगा
ताकि जब तुम्हारे गालों पर बने गड्ढों में गिर जाऊं
तुम्हारी गर्माहट भरी उपस्थिति बनी रही
Bahoot khoob Sir..
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