किसी को क्या परेशानी थी, जो, फूंक दी मेरी दुकान

किसी को क्या परेशानी थी
मेरे बूढ़े बाप से
जो, फूंक दी मेरी दुकान

मेरा बाप
जो कमजोर था, सीधा था 
भट्ठी झोंका करता था
अपने बच्चों का पेट पालने के लिए

खेतों में काम आने वाले औजार बनाता
हंसिया, गड़ासी और खुरपी
घरों में पंखे लटकाने के लिए
हुक और चिरई काड़ा

किसी को क्या परेशानी थी
जो लोगों ने फूंक दी
हमारी दुकान
चुरा ले गए हथौड़े और सड़सी
वो, निहाय जिस पर मेरा बाप
लोहे के औजार गढ़ता था
उम्र के आठवें दशक में

किसी को क्या परेशानी थी
जो फूंक दी मेरी दुकान
मैं जानना चाहता हूं
क्या, जमीदारों और सामंतों के इलाके
में भट्ठी झोंकना गुनाह है

जिनके पास हजारों एकड़ जमीनें है
वहीं आते थे, हंसिया में दांत निकलवाने
लेकिन 8 रूपए देने में उन्हें पसीने आते थे
उन्हें लगता था
मेरा बाप ज्यादा मांग रहा
अपनी मेहनत का दाम
भट्ठी की आग में झुलसने का हक
आखिर क्या वजह थी
जो, लोगों ने फूंक दी हमारी दुकान

मेरा बाप मुझसे कहता है
ऐसी बात नहीं थी बेटा
मैं किसी से क्यों झगड़ा करूंगा
हमें पेट जिलाने के लिए दो रुपए कमाने हैं
हमें किसी से क्यों शिकायत है
लेकिन हम जानना चाहते है
क्यों लोगों ने फूंक दी
हमारी दुकान
जो हमारे जीवन का आधार थी
मेरे बाप का संबल थी
मैं जानना चाहता हूं
क्यों, फूंक दी मेरी दुकान



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