तुम्हें गढ़ना


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पता नहीं क्यों ?
मैं पूरी रात जागता रहा
तुम्हारी यादों की बांह थामें टहलता रहा
ख्वाब सजाता रहा
और तारे गिनता रहा..
वो रात का जवान होना,
खिली धूपनुमा चांदनी से फरिय़ाद करना
याद आता रहा..
मोहब्बत सा दिल में कुछ उठता रहा
पूरी रात मैं तस्वीरें बनाता रहा.

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