सोशल एक्टिविस्ट नहीं, एंटरटेनर हूं..
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मैं सोशल एक्टिविस्ट नहीं, एंटरटेनर हूं। मेरा काम लोगों का मनोरंजन करना, उन्हें हंसाना है। उनके जज्बातों तक पहुंचना है। अपने पहले एपिसोड में मैं लोगों के दिल तक पहुंचा और कन्या भ्रूण हत्या एक ब़ड़े मुद्दे के रूप में सामने आया।
फिल्म अभिनेता आमिर खान,
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात के बाद
जीं हां, टेलीविजन के वास्तविक रियलिटी शो सत्यमेव जयते (हां, मैं
इसे एक रियलिटी शो ही मानता हूं, क्योंकि आमिर यहां खुलेआम रियलिटी बेच रहे हैं)
से एक खास वर्ग के चहेते बने आमिर खान ने यहीं कहा, जब कन्या भ्रूण हत्या रोकने के
सिलसिले में राजस्थान के मुख्यमंत्री से मिले ।
मेरा अंदाजा है आमिर का यह उपरोक्त बयान सुनकर कई लोगों के मुगालते
दूर हो गए होंगे। जो आमिर को महानायक मान रहे थे और उम्मीद कर रहे थे अब तो देश का
भला हो ही जाएगा। उनका पसंदीदा अभिनेता सामाजिक कुरीतियों से लड़ने मैदान में आ
गया है। देश और समाज से कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक कुरीतियां मिट जाएगी। गर्भ
में पल रहे भ्रूण की लिंग जांच पर विराम लग जाएगा। और ऐसा करने वालों को कड़ा से
कड़ा दंड मिलेगा जाएगा।
फिल्म
अभिनेता आमिर खान ने बुधवार शाम पांच बजे मुख्यमंत्री अशोक गहतोल से मुलाकात की। उनकी इस यात्रा पर नजर रखने वालों की माने तो आमिर और उनकी यात्रा को देखकर ऐसा लगा ही
नहीं कि आमिर किसी जन सरोकार के मुद्दे पर एक राज्य के मुख्यमंत्री से मिलने वाले
है। आमिर ने अशोक गहलोत से कहा कि कन्या भ्रूण हत्या के लिए एक विशेष फास्ट ट्रैक
कोर्ट बने और सभी केसेज इसी कोर्ट में लाए जाएं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी आमिर को भरोसा दिलाया कि वे चीफ जस्टिस से फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन के बारे में बात करेंगे। जिससे कि इस तरह के सारे केसेज जल्द से जल्द निपटाए जाएं। साथ ही जो भी दोषी हैं उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई हो सके। इससे लोगों को जागरुक करने में मदद मिलेगी और लोग कन्या भ्रूण हत्या जैसे पाप से बचेंगे।
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थोड़ा सा पीछे चलते है बीते रविवार को आमिर खान छोटे पर्दे पर सत्यमेव जयते का परचम थामे नजर आए। शो में जितने लोग आए सबने
अपनी कहानी और दर्द बांटे। स्टूडियो में बैठे लोगों की आंखे भर आई। खुद आमिर खान
भी आंसू बहा रहे थे। इसके अलावा फेसबुक, ट्वीटर, और सोशल मीडिया जैसे माध्यमों पर
आमिर खान के पक्ष और विपक्ष में काफी बातें कही गई। ऐसा लगा जैसे कन्या भ्रूण
हत्या जैसी कोई समस्या आज से पहले नहीं थी।
दरअसल आमिर पक्के बनिए हैं। उन्हें पता है कि कौन सी चीज कैसे बेची
जा सकती है। किस तरह लोगों को मूर्ख बनाया जा सकता है। कैसे लोगों की भावनाओं और
दर्द को भुनाया जा सकता है। आमिर वहीं कर रहे है जो वह अपनी फिल्मों के प्रचार के
दौरान करते है। अब आप ही बताइए जिस कार्यक्रम की मार्केंटिग पर बीस करोड़ से
ज्यादा खर्च किया गया हो। क्या उस कार्यक्रम को समाज सेवा के लिए समर्पित किया जा
सकता है। नहीं, आमिर को पता है कि अगर लोगों को इस कार्यक्रम से जोड़े रखना है तो
हर रोज नए पैंतरे अपनाने होंगे । ताकि एक खास वर्ग की दिलचस्पी इस कार्यक्रम में
बनी रही और टीआरपी का पेंडुलम उनके इर्द गिर्द घूमता रहे।
कार्यक्रम के पहले एपिसोड के आखिर में आमिर ने भावुक होते हुए कहा
था। मैं कन्या भ्रूण हत्या के रोकने के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री को चिट्ठी
लिखूंगा और आप समर्थन देंगे। लेकिन क्या सिर्फ एक चिट्ठी और एक बार मुख्यमंत्री से
मिल भर लेने से आपके अभियान की इतिश्री हो जाती है। क्या आमिर से पहले लोगों ने
कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान नहीं चलाए, लोगों को जागरुक नहीं किया। क्या 6
मई 2010 से पहले कन्या भ्रूण हत्या विकट समस्या नहीं थी।
दरअसल, कन्या भ्रूण हत्या इससे पहले भी एक बड़ी समस्या थीं और रहेगी
जब तक सरकारें भ्रूणों के खून से रंगे हाथों में हथकड़ियां नहीं पहनाती। कन्या
भ्रूण हत्या में लिप्त डॉक्टरों और अन्य दोषियों के खिलाफ अन्य संस्थाएं भी काम
करती है। लेकिन आमिर के स्टारडम और प्रचार के आगे उनके प्रयास बौने साबित हो गए। अफरात पैसा, जबरदस्त मार्केटिंग और प्रचार के दम पर आमिर आज कन्या भ्रूण हत्या के
खिलाफ कथित महानायक बनकर उभरे हैं।
आमिर खान से जब पूछा गया कि इस मुद्दे को आने वाले एपिसोड में आगे बढ़ाएंगे तो उनका जवाब था कि मैं सोशल एक्टिविस्ट नहीं, एंटरटेनर हूं। मेरा काम लोगों का मनोरंजन करना, उन्हें हंसाना है। उनके जज्बातों तक पहुंचना है। अपने पहले एपिसोड में मैं लोगों के दिल तक पहुंचा और कन्या भ्रूण हत्या एक ब़ड़े मुद्दे के रूप में सामने आया। मेरा सीरियल देखिए और जुडि़ए मेरे जज्बात केवल एक मुद्दे के लिए नहीं है, मैं सभी 13 एपिसोड में 13 नए मुद्दों को उठाऊंगा।
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जाहिर है आमिर अपने
कार्यक्रम के हर एपिसोड में ऐसे ही लोगों की भावनाओं से खेलने वाले है। फिर दो
एपिसोड के बीच में किसी मुख्यमंत्री या फिर किसी शख्सियत से मिलने का नाटक करना
हैं। दरअसल आमिर ने इस कार्यक्रम पर अपने चार साल खर्च किए हैं। जो कि वह किसी
फिल्म पर भी शायद ही करते होंगे। लिहाजा वह इसकी पूरी लागत वसूलना चाहते हैं। आम
आदमी और समाज में व्याप्त कुरीतियों को मिटाने और सरोकारों से आमिर का कोई लेना
देना नहीं है। हां, सरोकारों के बहाने लोगों की भावनाओं को भुनाना उन्हें बखूबी आता
है।
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