कृषि विकास दर 5.6 प्रतिशत होने की उम्मीद
यूपीए-२ का बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री ने उम्मीद जताई है कि आने वाले सालों में कृषि विकास दर की रफ्तार 5.6 प्रतिशत रहेंगी। इसको हासिल करने के लिए वित्तमंत्री ने बजट में खास प्रावधान भी किए हैं जिसमें कृषि क्षेत्र में कर्ज के राशि को 3.75 करोड़ से बढ़ाकर 4.75 करोड़ रखा गया हैं, राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास को 3000 करोड़ की सहायता, कृषि यंत्रों के आयात शुल्क पर छुट, उर्वरकों की खरीद पर कैश सब्सिडी और सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध कराने की बात भी की गई हैं।
वित्तमंत्री ने समय पर कर्ज लौटाने की दशा में मिलने वाले छूट के प्रतिशत को एक अंक बढ़ाकर तीन प्रतिशत कर दिया हैं। गौरतलब है कि यह पिछले साल दो प्रतिशत था। वित्तमंत्री ने उम्मीद जताई है कि इन्द्र देव की मर्जी रही तो कृषि विकास दर के लक्ष्य को पाने में ज्यादा मुश्किल नहीं आएगी। ज्ञातव्य है कि इन्द्र देव की कृपा के चलते ही वित्तमंत्री के पिछले कुछ महीने बेचैनी से गुजरे है। इसी को ध्यान में रखते हुए वित्तमंत्री ने निजी एवं सार्वजनिक भागीदारी की मदद से सुरक्षित खाद्दान्न भण्डारण क्षमता में वृद्दि करने की बात भी कही। साथ ही यह भी कहा कि फल, सब्जी, दूध, मांस के उत्पादन और वितरण में जो समस्याएं हैं उन्हें दूर करने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के बजट को बढ़ाकर 7860 करोड़ किया जा रहा हैं.
दूसरी तरफ देश के पूर्वी हिस्सों में दूसरी हरित क्रान्ति के लिए मौजूदा बजट में 400 करोड़ की वृद्दि की गई हैं। शायद वित्तमंत्री को पता नहीं कि सिर्फ पूर्वी हिस्सा ही नहीं बल्कि बुंदेलखँड और विदर्भ की हालत भी चिन्ताजनक हैं। ऐसा लगता है कि वित्तमंत्री को बुंदेलखँड और विदर्भ में आत्महत्या करते हुए किसानों की चीखें सुनाई नहीं पड़ी।
वित्तमंत्री ने अपने बजट में कृषि यंत्रों के आयात शुल्क में कमी का उल्लेख भी किया हैं। उनके इस फैसले से छोटे और मंझोले किसानों को कितना लाभ होगा यह तो वक्त बताएगा। लेकिन उनका यह फैसला बड़े किसानों के पक्ष में ज्यादा दिखाई दे रहा हैं। प्रणव दा ने किसानों के लिए उर्वरक पर अब कैश सब्सिडी देने का एलान किया है जिसमें किसानों को नगद पैसे दिए जाएंगे और खाद पर मिलने वाली सब्सिडी हटा दी जाएगी।
वित्तमंत्री ने समय पर कर्ज लौटाने की दशा में मिलने वाले छूट के प्रतिशत को एक अंक बढ़ाकर तीन प्रतिशत कर दिया हैं। गौरतलब है कि यह पिछले साल दो प्रतिशत था। वित्तमंत्री ने उम्मीद जताई है कि इन्द्र देव की मर्जी रही तो कृषि विकास दर के लक्ष्य को पाने में ज्यादा मुश्किल नहीं आएगी। ज्ञातव्य है कि इन्द्र देव की कृपा के चलते ही वित्तमंत्री के पिछले कुछ महीने बेचैनी से गुजरे है। इसी को ध्यान में रखते हुए वित्तमंत्री ने निजी एवं सार्वजनिक भागीदारी की मदद से सुरक्षित खाद्दान्न भण्डारण क्षमता में वृद्दि करने की बात भी कही। साथ ही यह भी कहा कि फल, सब्जी, दूध, मांस के उत्पादन और वितरण में जो समस्याएं हैं उन्हें दूर करने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के बजट को बढ़ाकर 7860 करोड़ किया जा रहा हैं.
दूसरी तरफ देश के पूर्वी हिस्सों में दूसरी हरित क्रान्ति के लिए मौजूदा बजट में 400 करोड़ की वृद्दि की गई हैं। शायद वित्तमंत्री को पता नहीं कि सिर्फ पूर्वी हिस्सा ही नहीं बल्कि बुंदेलखँड और विदर्भ की हालत भी चिन्ताजनक हैं। ऐसा लगता है कि वित्तमंत्री को बुंदेलखँड और विदर्भ में आत्महत्या करते हुए किसानों की चीखें सुनाई नहीं पड़ी।
वित्तमंत्री ने अपने बजट में कृषि यंत्रों के आयात शुल्क में कमी का उल्लेख भी किया हैं। उनके इस फैसले से छोटे और मंझोले किसानों को कितना लाभ होगा यह तो वक्त बताएगा। लेकिन उनका यह फैसला बड़े किसानों के पक्ष में ज्यादा दिखाई दे रहा हैं। प्रणव दा ने किसानों के लिए उर्वरक पर अब कैश सब्सिडी देने का एलान किया है जिसमें किसानों को नगद पैसे दिए जाएंगे और खाद पर मिलने वाली सब्सिडी हटा दी जाएगी।
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