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INTESTINAL TUBERCULOSIS WALI KAHANIYA - 3

पेट की टीबी की वजह से नौकरी जाती रही, लिहाजा इलाज और दिल्ली में सरवाइव करने के लिए नौकरी की जरूरत थी। कई जगहों पर रेज्यूमे भेजे और दोस्तों से भी मदद मांगी। कई जगह नौकरी के लिए हाथ पांव मारने के बाद दिल्ली के एक महत्वपूर्ण अंग्रेजी अखबार में नौकरी का विज्ञापन निकला.. मैंने भी आवेदन कर दिया। दोस्तों से इस बारे में चर्चा हो रही थी, कई लोगों का कहना था कि यहां एचआर वाले साक्षात्कार में यह भी पूछते हैं कि आपके पिताजी क्या करते हैं ? घर में कौन-कौन है और क्या आपके परिवार वाले आर्थिक रूप से आप पर निर्भर हैं ? मैंने कहा, अरे तो ये गजब है। क्या अगर कोई मजदूर का बेटा है, तो उसे नौकरी नहीं मिलेगी ? दोस्तों ने बताया कि इस कंपनी में पहली पीढ़ी (इसका मतलब ये है कि आप अपने परिवार में पहले आदमी तो नहीं जो किसी कॉरपोरेट कंपनी में काम करने निकला हो, या ये भी कह सकते हैं कि आप अपने परिवार में पहले आदमी तो नहीं, जो कॉलेज गया हो) के लोगों को शायद ही पर रखते हैं। मैंने कहा, देखेंगे। इंटरव्यू में पत्रकारीय सवालों के बाद एचआर ने सवाल करने शुरू किए। दूसरा सवाल यही था कि आपके पिताजी क्या करते हैं

Intestinal Tuberculosis Wali Kahaniya - 2

डेड पड़े फोन में अचानक हरकत होती है और तुम्हारा नाम फ्लैश होता है। यूं कई बरसों बाद तुम्हारा फोन करना वैसे ही है जैसे मेरी कब्र पर फूलों के साथ फातिहा पढ़ने आई हो। फोन की रिंग टोन से मेरी आत्मा जागती है और निर्जीव प्रतीत होती कविताओं में जान आ जाती है। मैं अपनी कब्र में उठकर बैठ जाता हूं... तुम्हारी आंखों के आंसू पोंछने के लिए..   Intestinal Tuberculosis Wali Kahaniya - 2