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मेरे राम..

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मेरे राम मस्जिद में भी रहते है/थे/सकते है..और तुम लोगों ने उसी मस्जिद को तोड़ दिया..और तबसे मैं हिंदू ना रहा.. और राष्ट्र तो एक कल्पना है मेरे लिए..राष्ट्र जैसी चीजें सत्ता के लिए जरुरी है. और सत्ता में मेरा कोई स्टेक नहीं है..और सत्ता के मद में ही गर्भ में पल रहे शिशु को तलवारों की नोक पर टांग दिया जाता है..मेरी स्थिति तो 70-80 प्रतिशत के समान है..20 रुपए में रोजाना दो जून की रोटी..मेरे राम के पास मंदिर/मस्जिद की च्वॉइस रखने की जगह ही नहीं है. 13.07.2013