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Rahul Gandhi: Sampradayikta, Dushprachar, Tanashahi se Aitihasik Sangharsh ‘राहुल गांधी : सांप्रदायिकता, दुष्प्रचार, तानाशाही से ऐतिहासिक संघर्ष

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संविधान नागरिकों को अधिकार देता है, लेकिन जब संविधान ही संकट में हो तो वह नागरिकों से साहस की मांग करता है कि नागरिक अपने अधिकारों की रक्षा के लिए खड़े होंगे. लेकिन डर और नफरत के अंधड़ में फंसे लोग सवाल करने का विवेक खो चुके होते हैं, वे अपनी नौकरी, ईएमआई और भविष्य की फिक्र में सत्ता से सवाल करने की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं. बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जो अपना सबकुछ गंवाकर अंधेरे के पार देखने की कोशिश करते हैं और नागरिक धर्म का पालन करते हुए सत्ता को आईना दिखाते हैं. वरिष्ठ पत्रकार दयाशंकर मिश्र (जो चंद रोज पहले देश के सबसे बड़े मीडिया समूहों में से एक में बतौर एग्जिक्यूटिव एडिटर लीडरशिप पोजिशन में थे) ने ऐसा साहस दिखाया है. दयाशंकर मिश्र ने अपनी किताब 'राहुल गांधीः सांप्रदायिकता, दुष्प्रचार और तानाशाही से ऐतिहासिक संघर्ष' के जरिए सत्ता के सामने आईना रखा है. ये आईना नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्रित्व कार्यकाल को घटनाओं के आलोक में देखता है, जिसमें पाठक को साफ दिखाई देता है कि कैसे 2014 के बाद कभी गौ मांस के नाम पर तो कभी हिंदुत्व की रक्षा के लिए नागरिकों की हत्या शुरू हो

Rahul Gandhi: Being Congress President in times of Modi

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Rahul Gandhi files his party presidency papers on 4th December 2017. Picture: Twitter गुजरात चुनाव में राहुल गांधी के लगभग हर भाषण सुन रहा हूँ. राहुल अपने समकक्ष नेताओं में सबसे समझदार, पढ़े लिखे और सामने वाले को सुनने में यकीन रखने वाले हैं. अपने परिवार में राहुल पांचवें सदस्य हैं. जो कांग्रेस की बागडोर सम्भालने जा रहे हैं. लेकिन, राहुल के सामने कोई आसान चुनौती नहीं है. ये आजादी के पहले भी थी और गांधी की हत्या के बाद विकराल रूप में उभरकर सामने आई. हालांकि तब समाज को नेतृत्व देने वाले नेता आज के नेताओं के मुकाबले कहीं ज्यादा बेहतर थे. उनकी सोच एक बेहतर समाज रचने की थी, जहां शांति और भाईचारा हो. लक्ष्य एक वैज्ञानिक समाज बनाने की थी. हर कांग्रेस अध्यक्ष के सामने अलग-अलग चुनौती रही है, लेकिन उन सबकी चुनौतियों में जो कॉमन है वो थी साम्प्रदायिकता.  गांधी की हत्या के बाद साम्प्रदायिकता ने अपना फन फैला लिया था, लेकिन उसके मुकाबले के लिए हमारे पास नेहरू की अगुआई में ऐसे बहुत सारे नेता थे जो समाज को दिशा दे सकते थे, साम्प्रदायिकता का फन कुचल सकते थे. आज की तरह समाज बंटा हुआ नहीं था. प्

A Letter to Congress Vice President Rahul Gandhi

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Congress Vice President Rahul Gandhi आदरणीय राहुल जी , नमस्कार! मैं 29 साल का एक युवा हूं जो महात्मा गांधी और पंडित जवाहर लाल नेहरू के मूल्यों और सिद्धांतों में विश्वास करता है। इसी नाते यह पत्र आपको लिख रहा हूं। देश में जिस तरह राजनीतिक द्वेष का वातावरण बना हुआ है , लोग आपकी तरफ मुंहबांए देख रहे हैं। भारत की समरसता और विविधता को बचाने की जिम्मेदारी आप पर है। मैं इस बात को समझता हूं कि राजनीतिक समीकरण हमारे साथ नहीं है , लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं है कि हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें। हमें आगे बढ़कर चुनौतियों का मुकाबला करना है। आर्थिक और सामाजिक मोर्चे पर आम जनता के हितों पर लगातार चोट हो रही है , लेकिन राष्ट्रभक्ति और हिंदुत्व की चाशनी में लपेटकर इसे देशभक्ति साबित किया जा रहा है। हमें संविधान के मूल्यों को हाथ में लेकर रणक्षेत्र में निकलना होगा। अपने विश्वास और राजनीतिक मूल्यों के साथ हमें लोगों के बीच घुल जाना होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी को सामाजिक न्याय की राजनीति से बहुत डर लगता है। आपको यही छोर पकड़ना है और निकल पड़ना है स्कूलों , कॉलेजों , पार्कों