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बुक रिव्यू : भारत के बनने की गवाही देते महान भाषण

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भारत  को आजाद हुए 65 बरस से ज्यादा हो गए है और हमारे देश में राजनीति के मुद्दे अब भी 65 बरस वाले ही है या उससे भी उम्रदराज पुरखों वाले. 1885 में एलेन ऑक्टेवियन ह्यूम ने कांग्रेस की पहली बैठक बुलाई और उसके बाद अंग्रेजों के खिलाफ राजनीतिक संघर्ष के लिए मुसलमानों को अपने साथ लेने की कोशिश होती है. इस बीच सर सैयद अहमद खां फ्रेम में आते हैं और मार्च 1888 में कांग्रेस पर मुसलमानों को बरगलाने का आरोप लगाकर वे मेरठ में भाषण देते हैं. इसी के साथ हिंदू-मुस्लिम राजनीति का श्रीगणेश हो जाता है. उम्मीद  है 2014 के आम चुनाव के मुद्दे आपके मनः मस्तिष्क से उतरे नहीं होंगे. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों को सुन लीजिए पता चल जाएगा हमारे देश में राजनीति की गाड़ी कितनी आगे बढ़ी है. हिंदुस्तान की राजनीति कितना आगे बढ़ पाई है ये बताती है प्रभात प्रकाशन से 2012 में प्रकाशित हुई किताब भारत के महान भाषण. इस किताब का संपादन रुद्रांक्षु मुखर्जी ने किया है. 1885  से लेकर 2007 के बीच सौ वर्ष से ज्यादा के समय आयाम में संकलित किए गए भाषणों का संकलन है ये किताब. कुल 49 भाषणों को दो हिस्सों में विभ