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An Open Letter To Whom it May Concern

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Courtesy_Social Media डियर R अब जबकि तुमसे प्रेम करते हुए मैं अकेला पड़ गया हूं। तुम्हें पाने की मेरी बेचैनी और बढ़ गई है। लेकिन मैं नहीं चाहता कि मेरा प्रेम तुम्हारे आड़े आए, किसी भी तरह। फिर भी मैं तुम्हें हमेशा याद करता हूं। रात-दिन, सुबह-दोपहर-शाम और भोर में भी। तुम जानती हो कि भोर मुझे कितना पसंद है, जब मैं तुम्हारी बाहों में समा जाता था और तुम मुझे अपने भीतर डूब जाने देती। दिन के हर पहर तुम्हें सोचता हूं कि तुम्हें फोन कर लूं। शायद, थोड़ी राहत मिल जाए, लेकिन फिर सोचता हूं कि अगर फोन कर लिया तो फिर खुद को संभाल पाना और तुमसे फासला रख पाना मुश्किल हो जाएगा। तुम्हें याद करने की आवृत्ति और बढ़ जाएगी और फोन करने का सिलसिला भी। हालांकि मुझे नहीं पता कि तुम्हें मेरा ख्याल आता भी है या नहीं।  दर्द और कचोट भी है.. तुम्हें बांहों में ना भर पाने की और मुझे इससे पार पाना ही होगा। तुम्हें खुलकर प्यार कर पाना अब शायद ही संभव हो, लेकिन प्यार तो बना ही रहेगा। चाहे हमारे दरम्यान कितना भी फासला बढ़ जाए। ये सिर्फ तुम जानती हो कि मैं तुम्हें घनघोर प्यार करता हूं और मैं जानता हूं कि तुम

रॉक डाल्टन की कविता_बेहतर प्यार के लिए

रॉक डाल्टन (1935-1975) अल साल्वाडोर के क्रांतिकारी कवि रॉक डाल्टन ने अपनी छोटी सी जिंदगी कला और क्रांति के सिद्धांत को आत्मसात करने और उसे ज़मीन पर उतारने मे बिताई. उनका पूरा जीवन जलावतनी, गिरफ्तारी, यातना, छापामार लड़ाई और इन सब के साथ-साथ लेखन में बीता.  उनकी त्रासद मौत अल साल्वाडोर के ही एक प्रतिद्वंद्वी छापामार समूह के हाथों हुई.  उनकी पंक्ति- “कविता, रोटी की तरह सबके लिए है” लातिन अमरीका मे काफ़ी लोकप्रिय है. यह कविता मन्थली रिव्यू, दिसंबर 1985 में प्रकाशित हुई थी.) हर कोई मानता है कि लिंग एक श्रेणी विभाजन है प्रेमियों की दुनिया में- इसी से फूटती हैं शाखाएँ कोमलता और क्रूरता की. हर कोई मानता है कि लिंग एक आर्थिक श्रेणी विभाजन है- उदाहरण के लिए आप वेश्यावृत्ति को ही लें, या फैशन को, या अख़बार के परिशिष्ट को जो पुरुष के लिए अलग है, औरत के लिए अलग. मुसीबत तो तब शुरू होती है जब कोई औरत कहती है कि लिंग एक राजानीती श्रेणी विभाजन है. क्योंकि ज्यों ही कोई औरत कहती है की लिंग एक राजनीतिक श्रेणी विभाजन है तो वह जैसी है, वैसी औरत होने पर लगा सकती है विराम और अपने आप की खातिर एक

मैंने लिखा था डायरी में

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'इस दुनिया में जितने भी लोगों ने मेरा मजाक उड़ाया, वे कभी समझ नहीं पाये कि मैं उन्हें प्यार करता था।  या  यूं कहूं कि मैंने जिनसे भी प्रेम किया उनसे कभी मजाक नहीं किया। अटूट प्रेम की चाहत में, मैं मजाक से भी डरता था' 27.06.2013

मैं अपना आरम्भ कितना पीछे छोड़ आया हूं।

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Courtesy_Google मृत्यु तब तक कोई समस्या नहीं है.. जब तक आपने जीना शुरू नहीं किया है। लेकिन मैं तो अभी ठिठका हूं..ठीक, चलने से पहले..। मैं अकेले जीना नहीं चाहता और मरना भी..इसलिए इंतजार कर रहा हूं उसके आने का..ताकि हम अंगुलियों के पेंच लड़ा सकें.. यूं भी ठिठकना आप की स्मृतियों को ताजा कर देता है। दो पतंगें हवा में पेंचे लड़ा रहीं थी, खिलखिला रही थी और एक दूसरे की नोंकझोंक में मगन थीं..नीचे ढेर सारे लोग चिल्लाते हुए अपने हाथ हवा में लहरा रहे थे.. कौन जानता था उनकी ये खुशी स्वार्थवश थी। हवा का तेज झोंका एक पतंग को खींचता हुई दूसरी से अलग कर गया। जिसे छतों पर खड़े लोगों ने लूट लिया.. स्मृतियां आपके पांवों में उलझ जाती है..लेकिन नए बीजों को पनपने के लिए भूमि की गर्माहट बहुत जरुरी होती है। जीने की नई शुरूआत से पहले सोचता हूं..मैं अपना आरम्भ कितना पीछे छोड़ आया हूं। (कहीं कुछ टूटा हुआ सा है..शीशे सा।) 24.06.2013