लोकसभा में सवर्णों के आरक्षण पर जब एक शुद्र ने खोली ज़बान
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उन्होंने कहा कि संविधान में सामाजिक असमानता को खत्म करने के लिए आरक्षण का प्रावधान है। संविधान निर्माताओं ने आरक्षण के लिए सामाजिक हैसियत को प्रावधान माना था। आज भी देश के कई हिस्सों में दलितों को कुएं से पानी नहीं लेने देते हैं। महान विचारक पेरियार से लेकर बाबा साहेब अम्बेडकर तक ने सामाजिक न्याय की मांग की।
अन्नाद्रमुक सांसद ने कहा कि कानून मंत्री ने अम्बेडकर का उदाहरण दिया, लेकिन क्या वे भूल गए कि उच्च शिक्षित होने के बावजूद लोगों ने उनके साथ कैसा व्यवहार किया। द्रविड़ कड़गम की स्थापना से पहले पेरियार ने कांग्रेस के साथ काम किया और कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे, लेकिन उनके साथ लोगों ने कैसा व्यवहार किया? भारत में जाति अभिशाप है और इसे कोई नहीं बदल सकता। एससी-एसटी वर्ग का आदमी कितना भी पढ़ लिख ले उसकी सामाजिक हैसियत नहीं बदलती है।
थंबीदुरई ने कहा कि सरकार तमिलनाडु के 69 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को लागू करे और सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों को उसमें शामिल करे। उत्तर भारत में पटेल, जाट सब आरक्षण मांग रहे हैं, सबको उस दायरे में लाये। उन्होंने कहा कि आरक्षण को लेकर उत्तर भारत में विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं? क्योंकि आज भी बहुत सारे लोग खुद को शुद्र मानने से इनकार करते हैं।
थंबीदुरई ने सवाल उठाया कि अगर किसी सवर्ण की आय आरक्षण मिलने के बाद 8 लाख को पार कर जाती है, तो क्या सरकार नियम बदलेगी? क्या उससे नौकरी वापस लेगी। सरकार को ये साफ करना चाहिए। थंबीदुरई इस दौरान बोलते हुए काफी भावुक नजर आ रहे थे और उन्होंने कहा कि जातिगत भेदभाव आरक्षण से समाप्त नहीं होगा। सरकार सभी वर्गों के लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित करे। इस दौरान सदन में मौजूद बीजेपी के सवर्ण सांसद कुप्पा मारकर बैठे थे।
थंबीदुरई के अलावा समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने भी शानदार भाषण दिया। उन्होंने सरकार को अपने गिरेबान में झांकने की सलाह दी। यादव ने कहा कि सरकार पहले कैबिनेट सचिव, सचिवालय, वाइस चांसलर के पदों पर एसी-एसटी और ओबीसी के लोगों की नियुक्ति करे और सरकारी पदों के बैकलॉग भरे। उन्होंने कहा कि सरकार जाति जनगणना के आंकड़े दबाकर क्यों बैठी है। जहां तक मुझे जानकारी है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में 65 फीसदी ओबीसी हैं, सरकार जाति जनगणना के आंकड़े जारी करे और जिसकी जितनी संख्या है उस हिसाब से सबको 100 फीसदी आरक्षण दे।
P.S - टेलीविजन चैनलों पर यादव का जाति जनगणना के आंकड़े वाला बयान ब्रेकिंग में नहीं चला। इधर-उधर घुमा के सब चला दिए। जाति जनगणना शब्द गायब था, क्योंकि ज्यादातर चैनलों के पीसीआर में कोई सवर्ण बैठा है।
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