संदेश

अप्रैल, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Intestinal Tuberculosis Wali Kahaniya - 2

डेड पड़े फोन में अचानक हरकत होती है और तुम्हारा नाम फ्लैश होता है। यूं कई बरसों बाद तुम्हारा फोन करना वैसे ही है जैसे मेरी कब्र पर फूलों के साथ फातिहा पढ़ने आई हो। फोन की रिंग टोन से मेरी आत्मा जागती है और निर्जीव प्रतीत होती कविताओं में जान आ जाती है। मैं अपनी कब्र में उठकर बैठ जाता हूं... तुम्हारी आंखों के आंसू पोंछने के लिए..   Intestinal Tuberculosis Wali Kahaniya - 2

Intestinal Tuberculosis Wali Kahaniya

1. उसने सवाल किया , कहां हो। मैं- फलाना वाली गली के तिराहे पर जो हैंडपंप है वहां। उसने पूछा- मिलना नहीं है। मैं- क्यों नहीं , बताओ कब मिलना है ? उसने कहा- वहीं रुको। मैं आ रही हूं। दो मिनट के अंदर वो आ गई। मैं वहीं बुत बना  रहा.. मन की तितलियां बोलीं.. आगे बढ़ो। मैं उसकी ओर आगे बढ़ा और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए। उसने हड़बड़ाकर कहा , आज मेरा व्रत है। मेरे मुंह से सहसा निकल पड़ा। हाय अल्लाह.. चढ़ती रात में अधूरे चुंबन के साथ अधूरे  रह गए हम । 2. ... और अब जबकि मैं उस दुनिया का हिस्सा नहीं हूं। रात को सपने में कोई सीनियर डांट रहा था (जिसका चेहरा मुझे याद नहीं) कि फेसबुक की ट्रेंड लिस्ट चेक नहीं करते तुम लोग.. वहां कई सारी स्टोरीज पड़ी हैं। मैं अधखुली निद्रा में कहना भूल गया कि सर , मैंने आपकी दुनिया से अपना नाम कटा लिया है।

Intestinal Tuberculosis Wali Kahaniya - 1

दिन भर ऑफिस में खटने के बाद कॉर्तिकेय और मैं घर की ओर चल पड़े। हालांकि मेरी तबीयत खुश नहीं थी और मुझे इस बात का अंदाजा हो गया था कि आज फिर अस्पताल न जाना पड़े। कई सारी चिंताएं मेरी दिमाग में घूम रही थी। नौकरी वापस ज्वॉइन किए हुए कुछ ही दिन हुए थे और सैलरी अभी मिली नहीं थी। जैसे तैसे खर्चा चल रहा था। इस बात को लेकर मन अंदर ही अंदर डरा हुआ था। आधे रास्ते तक पहुंचे पेट में दर्द होना शुरू हो गया। मैंने कार्तिकेय से कहा कि मेरे पेट में दर्द हो रहा है। उसने दवाइयों के बारे में पूछा, मैंने बताया कि दवाइयां तो मैं टाइम से खा रहा हूं और आज भी समय पर ले लिया था, लेकिन दर्द हो रहा है। कार्तिकेय ने मुझे कमरे पर छोड़ा और अपने कमरे चला गया। हालांकि जाते हुए उसने इत्तला किया कि अगर कोई परेशानी हो, तो मैं उसे कॉल कर लूं। कॉर्तिकेय के जाने पर मैं भागा-भागा कमरे पर पहुंचा और जाते ही पसर गया। काम वाली बाई और खाना बना गई थी और जुठे बर्तन बेसिन पड़े हुए थे। मैंने जूते खोले और कराहते हुए हाथ मुंह धोएं। आइने के सामने जब खुद से नजरें मिलाई तो आंखों में लगभग आंसू आ गए थे। पेट की टीबी ने तोड़ के रख दिया थ

An Open Letter To Whom it May Concern

चित्र
Courtesy_Social Media डियर R अब जबकि तुमसे प्रेम करते हुए मैं अकेला पड़ गया हूं। तुम्हें पाने की मेरी बेचैनी और बढ़ गई है। लेकिन मैं नहीं चाहता कि मेरा प्रेम तुम्हारे आड़े आए, किसी भी तरह। फिर भी मैं तुम्हें हमेशा याद करता हूं। रात-दिन, सुबह-दोपहर-शाम और भोर में भी। तुम जानती हो कि भोर मुझे कितना पसंद है, जब मैं तुम्हारी बाहों में समा जाता था और तुम मुझे अपने भीतर डूब जाने देती। दिन के हर पहर तुम्हें सोचता हूं कि तुम्हें फोन कर लूं। शायद, थोड़ी राहत मिल जाए, लेकिन फिर सोचता हूं कि अगर फोन कर लिया तो फिर खुद को संभाल पाना और तुमसे फासला रख पाना मुश्किल हो जाएगा। तुम्हें याद करने की आवृत्ति और बढ़ जाएगी और फोन करने का सिलसिला भी। हालांकि मुझे नहीं पता कि तुम्हें मेरा ख्याल आता भी है या नहीं।  दर्द और कचोट भी है.. तुम्हें बांहों में ना भर पाने की और मुझे इससे पार पाना ही होगा। तुम्हें खुलकर प्यार कर पाना अब शायद ही संभव हो, लेकिन प्यार तो बना ही रहेगा। चाहे हमारे दरम्यान कितना भी फासला बढ़ जाए। ये सिर्फ तुम जानती हो कि मैं तुम्हें घनघोर प्यार करता हूं और मैं जानता हूं कि तुम

Ramdom Notes

आप मुझसे कुछ भी करवा लीजिए। मुझे बैठने से खासा दिक्कत है। मैं लगातार सोचता रहता हूं। और कुछ ना कुछ करता रहता हूं। हालांकि इससे कुछ लोगों को चिढ़ भी होती है। जब मैं पहली नौकरी कर रहा था सीएनबी न्यूज में तो ऑफिस तीन बजे का था। मैं दस पन्द्रह मिनट पहले पहुंच जाता था। और जाते ही सीनियर लोगों को नमस्ते बोलता था , वो लोग सुबह वाली शिफ्ट में थे। और वाइंड अप कर रहे होते तो काम बताने लगते। और मैं शुरू हो जाता। मेरे साथी कहते (जो लोग हमारे साथ कैंपस प्लेसमेंट में गए थे) कि चलो चाय पीने तो मैं नहीं जाता , कहता कि यार काम बहुत है। वे लोग नाराज होते और कहते कि ये नहीं जाएगा चलो हम लोग चाय पीने चलते हैं। कहने का मतलब है कि मैं जो करने गया हूं और जो करने जा रहा हूं उसमें देरी बर्दाश्त नहीं है। ऐसा नहीं है कि मुझे काम के दौरान पीना और खाना बर्दाश्त नहीं है। लेकिन काम मेरी प्राथमिकता है। हम रिजल्ट की तरफ बढ़ रहे हैं। काम खत्म होने वाला है। तब मैं रिलैक्स हो जाता हूं और चाय पीता हूं , खाना खाता हूं। दोस्तों से मिल आता हूं और सब कुछ करता हूं। मैं वो आदमी हूं जो प्रचार के झांसे में नहीं आता। मैं मं

‪रामनवमी नोट्स‬

रोड किनारे हनुमान जी के मंदिर पर मजमा लगा है। लखबीर सिंह लख्खा गलाफाड़ू आवाज में जय श्री राम के नारे लगा रहे हैं। (ऑडियो बज रहा है) डीजे और लाउड स्पीकर जोरों से चिल्ला रहे हैं। पूरा रोड लाल और केसरिया झंडों से पटा पड़ा है।   कोई बीच-बीच में साउंड बढ़ा दे रहा है।   दो सरदार जी लोग हनुमान जी की सेवा में लगे हैं। कार्यक्रम का आयोजन टेम्पो चालक संघ ने किया है।   भरी दोपहरी में मुश्किल से 15 लोग भी नहीं है।   लेकिन डीजे वाले ने पूरा माहौल बना रखा है।   मुझे अपने गांव वाले गोपाल जी याद रहे हैं , जो घुचुल पंडित जी को चिढ़ाने के लिए कहते थे , रामदूत अतुलित बल धामा , छटकल टांग फटल पयजामा। हनुमान जी श्री राम - श्री राम भजते थे। बजरंग दल वाले जय श्री राम - जय श्री राम चिल्लाते हैं।   मरने के बाद चार कंधों पर सवार मुर्दे को बैकुंठ मिले , इसलिए लोग राम-राम ही भजते हैं।        15.04.2016

मेरा काम चूल्हे में लकड़ियां झोंकना है

मेरा काम चूल्हे में लकड़ियां झोंकना है जब तक दूध खौलता नहीं मेरा काम चूल्हे में लगी आग को धधकाए रखना है धधकती आग की खातिर सूखी लकड़ियां ही जलेगी और आग धधकेगी दूध खौलेगा अपने समय पर क्योंकि दूध.. खून नहीं है कि क्षण भर में खौल उठे खून का खौलना इंसान को जानवर बना देता है मेरे चूल्हे पर चढ़ी हांडी में मिठास पक रही है दूध खौलेगा और उसकी मिठास इंसान को जानवर नहीं बनने देगी। 14.04.2016