मेरे सीने में लगी आग तुम्हारे सीने में भी धधके
आधी आधी रात तक जागता हूँ।
जब तुम थी तब भी
और जब नहीं हो तब भी
जब थी, तो तुम्हारे सीने से लगने के लिए जागता था
और जब नहीं हो तब
तुम्हारे बदन की गंध को महसूस कर जागता हूँ
कभी रजाई में ढूँढ़ता हूँ
कभी उस तकिये में, जिस पर तुम सिर रखके सोई थी
तुम्हे बताऊं
मेरे सीने में एक आग लगी है।
जब आखिरी बार तुमने कलेजे से लगाया था।
तभी से
चाहता हूँ आठों पहर तुम्हें सीने से लगाए रहूँ।
प्यार करूँ और तुम्हारी पलकों को चूम लूँ।
तुम्हारे हाथों के नर्म स्पर्श में पिघल जाऊँ
और अपनी द्रव्यता से तुम्हें भिगो दूँ
तुम्हारी अतल गहराइयों में उतर जाऊं
हमेशा के लिए
द्रव्य बनकर
ताकि मेरे सीने में लगी आग
तुम्हारे सीने में भी धधके
आहिस्ता आहिस्ता
ज़माने की बुरी नजरों से बचके
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