Ghazipur Varanasi in pics in pics


ढलती शाम में सड़क किनारे चूल्हे पर भुट्टा।। 

आम, दाल और रोटी। एक पूर्वांचली का आम भोजन।।

आम के फांके।। बहुतायत में परोसे गए। क्षुधा शांत करिए।।

जीरे के तड़के वाली दाल।। पूर्वांचल की दाल कैफी आजमी को भी बेहद पसंद थी।।


आम, नेनुआ और प्याज।।

बाढ़ के बाद गंगा लौटती है तो जमीन सांस लेने लगती है और उसका स्वरुप ऐसा हो जाता है। जैसे प्रसव के बाद जनाना के उदर पर निशान।।

धरती ने ओढ़ी धानी चुनरिया।।

धान के खेत।।

खेतों को देख मन लहलहा उठता है। 

तपते सूरज की रोशनी में पाला खींच कबड्डी खेलते बच्चे। 

दूसरे पाले में पढ़ाता खिलाड़ी और ध्यानमग्न नन्हा दर्शक।

चलो क्षितिज के पार।।

बाढ़ के बाद गाजीपुर में गंगा किनारे फैला दियारा। 

सूरज की गर्मी में दूब पिघलने लगी है। कुछ ही दिनों में पिघल जाएगी।

ऊंचे अरारो पर खेती अब थोड़ी सी बची है। 

वाह.. मन हरियर हो गया।

ऐसे ही खेतों में धामन लोटती और किसान का सीना फूल के चौड़ा हो जाता है। 

ऐ बदरा.. अपने संग हमें भी लेते चलो। 












बारिशों के बाद खेतों के बीचोंबीच बना तालाब। मन मोहे जात हअ।।

खेत के मेड़ों पर बैठे बगुले अपनी मछलियों के शिकार में।

नहर।। पूर्वी यूपी में सिंचाई का अहम जरिया।


बगुलों की पंगत।।






उत्तरी पट्टी का चकरोड। खुसरो चल घर आपनो।


गांव को चारों से घेरे हुए पसरा है सिवान।

वो प्राइमरी स्कूल जहां हम पांचवीं जमात तक पढ़े।। अब तो ये कई बार नए सिरे से बना है। नहीं तो हमारे समय खंडहर था। चारों तरफ जंगल सा। 


एक पगडंडी जो गंगा की ओर जाती है। 

जनेरा और बाजरा की खेती अब सिर्फ जानवरों के चारे के रूप में होती है। 

टावरों से गांव पट गया है। 


डुहियां गांव की तलही। बाढ़ आती है तो पूरा भर जाता है। जैसे भारी तालाब।।

डुहियां चट्टी से गुजरने वाले हाइवे पर छोटी पुलिया.. हर शाम यही जमावड़ा लगता है। 

ऐसी तस्वीरों को देख, मन कहां भरता है। 


दिल्ली-रक्सौल एक्सप्रेस।


घर को लौट जा, पंछी।

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन।

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