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बुक रिव्यूः दो मुल्कों के आधी रात को आजाद होने की कहानी

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विश्वयुद्ध जीतने की कीमत क्या होती है या चुकानी पड़ती है?. सवाल यह भी हो सकता है आजादी की कीमत क्या होती है?. अगर आप पकड़ने की कोशिश करें तो विश्व विख्यात लेखक और पत्रकार डोमिनीक लापिएर और लैरी कॉलिन्स की किताब ‘आजादी आधी रात को’ में इन दोनों सवालों के जवाब मिल जाएंगे. भारत की आजादी दरअसल द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन की खस्ताहाल स्थिति से उपजी थी. ‘ब्रिटेन मानवता के सबसे भयानक युद्ध में विश्व विजयी रहा था, लेकिन विजय क्या किसी को बिना कीमत चुकाए मिलती है. ब्रिटेन के उद्योग धंधे चौपट हो गए, उसका खजाना खाली हो गया था और उसकी मुद्रा पौंड अमेरिका और कनाडा के इंजेक्शनों के सहारे सांस ले रही थी. ऐसी ही स्थिति में ब्रिटेन ने माउंटबेटन को भारत से हाथ खींच लेने का सौंपा था.’ ब्रिटेन ने विश्वयुद्ध जीतने की कीमत इस तरह चुकाई. लुई माउंटबेटन ‘आजादी आधी रात को’ के नायक हैं और पूरी कहानी उन्हीं के इर्द गिर्द घूमती है आखिरी के कुछ पाठों को छोड़कर जहां सांप्रदायिक बदले की भावना में रंगे बरछों को गांधी शांत रहने के लिए उपदेश देते हैं. किताब के प्राक्कथन में ही लापिएर और कॉलिन्स